अनानास की खेती किसानों के लिए फायदेमंद है. इसे अनेक प्रकार की जलवायु में आसानी से किया जा सकता है. हालांकि इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया मानी जाती है. भारत में इसकी खेती मुख्य तौर पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों में होती है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आप इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बुवाई का समय
अनानास की बुवाई के लिए बरसात के दिनों से बढ़िया समय और कोई नहीं है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में मृदा में नमी का बने रहना जरूरी है. इसलिए मैदानी क्षेत्रों में खेती से पहले मिट्टी की जुताई जरूरी है. पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती सीढ़ीदार होती है. इसकी खेती कतार में करनी चाहिए.
बुवाई का तरीका
अनानास को भूमि में 10 सेटींमीटर छोटे रोपे में बोना चाहिए. भूमि में पौधा सीधा लगाना चाहिए, इस दौरान ध्यान रहे कि उसके कालिका भाग में मिट्टी न भरने पाए. पौधों की आपसी दूरी कुल 25 सेमी और कतार की कतार से दूरी 60 सेमी के आस-पास होनी चाहिए.
सिंचाई
इस फसल को सूखे के मौसम में हल्की सिंचाई की जरूरत होती है. महीने में तीन बार कम से कम तीन सिंचाई करनी जरूरी है. वैसे सिंचाई की आवश्यकता भूमि की किस्म को देखते हुए अलग-अलग भी हो सकती है, इसलिए नमी को बनाएं रखने के लिए आप अपने अनुसार सिंचाई कर सकते हैं.
कटाई और तुड़ाई
सामान्य रूप से पौधों की रोपाई के 15 से 18 महीने बाद उसमें फूल आने लग जाते हैं. फूलों के आने के 4-5 महीने बाद फल लगने लग जाते हैं. फलों के 80 प्रतिशत तक परिप्कव होने के बाद, आप आसानी से इन्हें पेड़ों से तोड़ सकते है. हालांकि खाने के लिए पूरी तरह से पकने में इन्बें कुछ समय लगता है, इसलिए सेवन हेतु इसके फल तुड़ाई के बाद तैयार नहीं होते.
भंडारण
अनानास के फलों को तुड़ाई के बाद 4 से 5 दिन पकने देना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे कि भंडारण 5 दिन से अधिक न हो, नहीं तो फल खराब होने लग जाएंगें. कटाई के बाद इन्हें मंडियों में जल्दी बिक्री के लिए ले जाएं.
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