वर्तमान समय में पूरी दुनिया में मक्का उत्पादन में भारत का स्थान 5वें नंबर पर है. हमारे देश में मक्का की खेती बहुत बड़े स्तर पर की जाती है. इसकी ज्यादातर खेती पशु -पक्षियों के दाने, भुट्टे और हरे चारे के लिए होती है. मक्का की फसल बाकि फसलों के मुकाबले कम समय में पककर तैयार हो जाती है और अच्छी पैदावार भी देने लगती है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agriculture University ) जिसे पीएयू के नाम से भी जाना जाता है ने पंजाब में खेती के लिए इस खरीफ मौसम (Kharif Season) के दौरान मक्का की अधिक उपज देने वाली एक नई किस्म (Maize New Variety) विकसित और अनुशंसित की है.
यह एक ऐसी किस्म जो मक्का की पैदावार को बढ़ाने के साथ- साथ रोग प्रतिरोधी भी होगी जोकि किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. तो आइए जानते हैं मक्का की इस नयी किस्म के बारे में विस्तार रूप से...
क्या है इस मक्का की किस्म का नाम (What is the name of this maize variety)
खरीफ मौसम के दौरान मक्का की उपज बढ़ाने वाली मक्का की इस किस्म का नाम पीएमएच-13 (PMH-13) किस्म है. जो मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए आय का अच्छा साधन साबित होगी. इस किस्म को कृषि प्रधान राज्य की जलवायु परिस्थितियों में उगाया जा सकता है.
डॉ जीएस मंगत (Dr.GS Mangat), अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान ने इस जानकारी को साझा करते हुए बताया कि मक्के की इस संकर किस्म की औसत उपज 24 क्विंटल प्रति एकड़ है.
कितने समय में पकेगी मक्के की नयी किस्म (In how much time will the new variety of maize ripen?)
इस किस्म को परिपक्व (तैयार) होने में औसतन 97 दिन का समय लगता है.
कैसी है दिखने में मक्के की ये नयी किस्म (How does this new variety of maize look?)
डॉ जीएस के अनुसार मक्के की इस नयी किस्म के दाने का रंग देखने में पीला नारंगी (Yellowish-Orange) हैं, वहीं इसका आकार लंबे शंकु-बेलनाकार की तरह है.
इसके अलावा, यह किस्म झुलसा रोग, चारकोल रोट, तना छेदक रोग प्रतिरोधी है. वहीं मक्के की इस किस्म की बुवाई करते समय प्रति एकड़ महज 10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है.
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