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गोपाष्टमी के मौके पर श्री राधे कृष्ण मंदिर गौशाला ने भोग का किया आयोजन, पुरुषोत्तम रूपाला ने किया संबोधित

भारतीय संस्कृति और सभ्यता में गाय और उसके महत्व की बात करें तो यह सदियों से हमारे देश में चला आ रहा है.

प्राची वत्स
Gopashtami Utsav
Gopashtami Utsav.

भारतीय संस्कृति और सभ्यता में गाय और उसके महत्व की बात करें तो यह सदियों से हमारे देश में चला आ रहा है. गौ सेवा और गौ आस्था में लीन लोगों का गाय पर भरोसा बढ़ते समय के साथ और भी बढ़ता जा रहा है.

एक तरफ विज्ञान की बात करें तो आज हम चाँद पर पहुँच चुके हैं, मंगल पर पूरी तरह अपना पैर जमाने के लिए हम तैयार हैं, लेकिन फिर भी गौ माता और हमारी संस्कृति पर आज भी हमें उतना ही भरोसा और गर्व है. ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति गौ सेवा करता है उसे उसका फल अवश्य मिलता है.

वैसे भी अगर देखें तो किसी भी बेजुबान जानवर की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म और इंसानियत माना गया है. आज हमारे देश और दुनियाभर में कई ऐसी दवाइयों की कंपनियां है जो भारत में बने आयुर्वेद को अपनाकर इसका लाभ उठा रही हैं. आयुर्वेद में गौ की अलग-अलग चीज़ों का एक विशेष महत्व है. वो चाहे गाय का दूध हो, गोबर या फिर गौ मूत्र हो. इन सबके इस्तेमाल से आज आयुर्वेद अपनी एक अलग पहचान समाज में बनाए रखा है.

कुछ इसी विचारधारा को अपने साथ लिए चल रहा दिल्ली में स्थित श्री राधे कृष्णा गौशाला भी है. श्री राधे कृष्णा गौशाला ना जाने कितने लोगों को अभीतक प्रेरित कर चुका है कि आप भी गौ सेवा कर पुण्य के भागीदार बन सकते हैं.

11  नवंबर को आयोजित गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौ पूजन, अन्नकुट, 56 भोग का आयोजन श्री राधे कृष्ण मंदिर गौशाला द्वारा किया गया. इस शुभ अवसर पर  कृषि एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपला ने मौके पर मौजूद होकर इस पूजन में चार चाँद लगा दिया.

उन्होंने मौके पर उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि एक तरफ जहां लोग गाय और गौ माता के महत्व को भूलते जा रहे हैं. वहीं, आप सबकी उपस्थिति ने इस गोपाष्टमी को और भी ख़ास बना दिया है. श्री राधे कृष्णा गौशाला के मुखिया पूज्य महंत राम मंगल दास ने भी सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए इस शुभ अवसर का शुभारंभ किया.
वहीं, श्री राधे कृष्णा गौशाला की मीडिया पार्टनर कृषि जागरण ने उनके इस गौ सेवा में भाग लेकर औरों तक उनकी बातों को पहुँचाने में उनकी मदद की.

गौरतलब है कि भारत संस्कृति और त्योहारों का देश है. हर साल हम अलग-अलग त्योहारों को मानते आ रहे हैं. कभी दशहरा, दिवाली तो कभी जन्माष्टमी. जन्माष्टमी और गोपाष्टमी के शब्दों पर ध्यान दें तो एक दूसरे से मिलता जुलता है. यह इसलिए क्योंकि दोनों में जिक्र भगवान् श्री कृष्ण और उनके लीला की है. जन्माष्टमी हम श्री कृष्ण के जन्म की ख़ुशी पर मनाते हैं और गोपाष्टमी हम उनके सबसे प्रिय जीव गौ माता के लिए मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि गोपाष्टमी के दिन ही भगवान् श्री कृष्ण पहली बार अपनी गाय को लेकर वन की और चराने के लिए चले गए थे. तब से लेकर आजतक गाय को चराने की प्रथा हमारे समाज में चली आ रही है.

इतना ही नहीं इस शुभ अवसर पर सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमति तुलसी देवी जी ने अपने मधुर आवाज से उपस्थित सभी लोगों को भाव विभोर किया.आपको बता दें महंत जी और उनके सहायक के द्वारा यहां 2000 से अधिक गायों की देखभाल फिलहाल की जा रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां पर मौजूद सभी गायें महंत जी के आज्ञा का पालन करती है. ये कुछ और नहीं महंत जी का प्यार और गायों के प्रति एक लगाव है जो उन्हें गाय से इस हद तक जोड़े रखा है.

महंत जी का मानना है कि हर एक मनुष्य को गौ सेवा जरूर करना चाहिए. इससे अनेकों तरह की बीमारियां भी दूर होती है साथ ही गौ से मिला वरदान भी आपको बिना किसी मिलावट के साथ मिल पाता है. 

English Summary: Parshottam Rupala inaugurated the Gopashtami worship, organized 56 Bhog Published on: 13 November 2021, 05:11 PM IST

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