परंपरा को हमारे बुज़ुर्गो की अमानत समझा जाता है पर यह परंपरा किस काम की जिसकी वजह से आज की इस पीढ़ी को हर तरफ से नुक्सान हो जी हाँ हम बात कर रहे है पराली जलाने की परंपरा की जिसके जलाने से न जाने कितना प्रदूषण फैलता है इसी का विरोध करते हुए पूसा में लगे कृषि उन्नति मेले में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पराली जलाने का विरोध करते हुए कहा था कि हमे वो परंपरा छोड़ देनी चाहिए जो आज के समय के हिसाब से न हो.
प्रधानमंत्री ने कहा की पराली जलाने का मतलब भारत माँ को आग लगाने जैसा है, उन्होंने कहा कि पराली भी एक फसल का हिस्सा है और कही न कही हम पराली के चक्कर में फसल जलाकर देश की मिटटी और वातावरण को ख़राब कर रहे है प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर वो पराली को जलाने के बजाए मशीन द्वारा पराली को खेत में ही मिला दे तो उपज अच्छी होगी . इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एकता में शक्ति की बात कहते हुए कहा कि अगर सारे किसान एक जगह रहकर काम करेंगे तो लागत कम और आय ज्यादा हो सकेगी और साथ ही प्रधानमंत्री ने किसानो को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया उन्होंने कहा जितना जैविक खेती बढ़ेगी तो देश के अन्नदाता यानी किसानो की भूमिका देश में बढ़ेगी.
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