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पंतनगर विश्वविद्दालय में स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर द्वारा धान की रोपाई

पंतनगर विश्वविद्यालय के नॉरमन बोरलॉग फसल अनुसंधान केन्द्र पर धान की रोपाई इस बार स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर से की गयी है। इस स्वचलित मशीन में मैट टाइप की पौध उपयोग में लाई जाती है।

पंतनगर विश्वविद्यालय के नॉरमन बोरलॉग फसल अनुसंधान केन्द्र पर धान की रोपाई इस बार स्वचालित पैडी ट्रांसप्लांटर से की गयी है। इस स्वचलित मशीन में मैट टाइप की पौध उपयोग में लाई जाती है।

इस मशीन का प्रदर्शन कुलपति प्रो. ए.के. मिश्रा, निदेशक शोध डॉ. एस.एन. तिवारी व अन्य वैज्ञानिकों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक किया गया। कुलपति, प्रो. मिश्रा ने मशीन के सफल प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि मशीन द्वारा धान की रोपाई आज के समय की मांग है। जहां मशीन से रोपाई में समय व लागत में कमी आयेगी वहीं आमदनी में वृद्धि होगी।

विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एवं पॉवर अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक एवं संयुक्त निदेशक शोध, इंजी. आर.एन. पटैरिया, ने बताया कि इस मशीन में प्रयुक्त पौध की मैट का आकार 430 x 230 x 20 मि.मी  होता है और यह पौध लगभग 25 दिनों में तैयार हो जाती है। यह मशीन धान की खेती में मजदूरी की बढ़ती समस्या से भी छुटकारा दिलायेगी। हमारे देश में धान की रोपाई मुख्यतः हाथ से की जाती है। हाथ से धान की रोपाई करने मे श्रमिकों की काफी अधिक आवश्यकता होती है और समय भी अधिक लगता है। श्रमिकों की अनुपलब्धता तथा प्रतिकूल मौसम के दौरान इनकी दक्षता में कमी को देखते हुए यह महसूस किया जा रहा है कि कम लागत में बेहतर और तेजी से कार्य करने के लिए मशीन से रोपाई अधिक उपयुक्त है, जिसमें यह पेड़ी ट्रांसप्लांटर उपयोगी है।

डॉ. पटैरिया ने बताया कि पैडी ट्रांसप्लांटर में एक इंजिन लगा होता है और यह 8 कतारों में धान की रोपाई करती है। इन कतारों के बीच की दूरी 228 मिमी होती है और पौध से पौध के बीच की दूरी लगभग 145 मि.मी. होती है। इस मशीन द्वारा एक दिन में एक हैक्टेयर खेत की रोपाई की जा सकती है। इस मशीन को चलाने के लिए एक चालक और एक श्रमिक की आवश्यकता होती है। इस मशीन का उपयोग करने से प्रति हैक्टेयर कार्य घंटे में 75-80 प्रतिशत श्रम की बचत होती है और हाथ से रोपाई की तुलना में लागत भी कम लगती है। इससे रोपाई में पौध एक निश्चित स्थान पर लगती है, जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होती है और उपज भी उचित मात्रा में प्राप्त होती है। मशीन से धान की रोपाई के लिए खेत की मड़ाई करना आवश्यक है, जिससे चटाईनुमा पौध की सुचारू रूप से रोपाई की जा सके। इस विधि से पौध की जड़ें आसानी से मिट्टी को पकड़ लेती हैं और उनकी वृद्धि भी अच्छी होती है। डॉ. पटैरिया ने बताया कि विश्वविद्यालय में मानव चलित धान रोपाई मशीन की दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिससे यह मशीन पर्वतीय और छोटे किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी।

English Summary: Paddy transplant by automatic paddy transplant at Pantnagar University Published on: 24 July 2018, 07:45 AM IST

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