Paddy Stubble: देश में धान की फसल कटने के साथ ही किसानों द्वारा पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या आम हो जाती है. इन दिनों भी कुछ ऐसा ही हाल बना हुआ है.
हालांकि ये समस्या उत्पन्न ना हो इसके लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें लगातार किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक कर रही है. क्योंकि किसानों के पास पराली के इस्तेमाल को लेकर सही और सटीक जानकारी ना होने की वजह से उन्हें मजबूरन पराली जलानी पड़ती है.
इसी गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए आज कृषि जागरण किसान भाईयों के लिए पराली प्रबंधन से जुड़ी अहम जानकारी लेकर आया है. इस लेख में हम किसान भाईयों को बतायेंगे कि कैसे वो पराली का सही इस्तेमाल कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. इससे ना सिर्फ पराली जलने से उत्पन्न हुई प्रदूषण की समस्या कम होगी बल्कि इससे किसानों को अतिरिक्त मुनाफा भी हो सकेगा. तो चलिए जानते हैं पराली का सही इस्तेमाल किसान कैसे कर सकते हैं.
जानें, पराली प्रबंधन के आसान तरीके
पराली से बनाएं भूसा
पराली जलाने की जगह किसान थ्रेसर की मदद से फसलों के अवशेषों को भूसा बना सकते हैं. सर्दियों में भूसे की मांग काफी अच्छी रहती है. बता दें कि पराली का भूसा 500 से 600 रुपये क्विंटल के रेट से बाजार में मिलता है. ऐसे में किसान इसे बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
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पराली से बनाएं जैविक खाद
इन दिनों जैविक खाद का इस्तेमाल काफी ज्यादा मात्रा में होने लगा है. ऐसे में किसान चाहें तो पराली से आसानी से जैविक खाद बना सकते है. पराली का दो तरीके से उपयोग कर जैविक खाद बनाई जाती है.
पहला तो ये कि जैविक खाद बनाने वाली कुछ यूनिट्स गोबर में केंचुए छोड़ने के बाद उसे ढकने के लिए पराली का इस्तेमाल करती हैं. वहीं, दूसरे में पराली को गलाकर इससे जैविक खाद बनाया जाता हैं. जैसा की जैविक खाद महंगी मिलती है तो ऐसे में इसे बाजार में बेचकर किसान मोटी कमाई कर सकते हैं.
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