पंतनगर विश्वविद्यालय के फार्म पर स्थापित जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड, जलगांव के सहयोग से लगाये गये जीरो टिल गेहूं में टपक सिंचाई का प्रदर्शन जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड के वैज्ञानिकों ने मुख्य महाप्रबन्धक, विश्वविद्यालय फार्म, डा. ए.के. भारद्वाज, के साथ निरीक्षण किया। डा. भारद्वाज ने बताया कि टपक सिंचाई का प्रदर्षन विश्वविद्यालय फार्म पर लगभग आधा एकड़ क्षेत्रफल पर किया गया है, जिसमें डब्लू.एच.-1124 प्रजाति का गेहूं बोया गया है। इस प्रकार का परीक्षण विगत 05 वर्षों से विश्वविद्यालय फार्म पर किया जा रहा है। इस प्रदर्षन में जीरो टिल गेहूं में संस्तुत सभी पोषक तत्व ड्रिप के साथ ही दिये जा रहे हैं। मुख्य महाप्रबन्धक फार्म ने बताया कि इस विधि द्वारा गेहूं की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ उर्वरक की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जिसका सीधा प्रभाव फसल की पैदावार पर होता है। उन्होंने अवगत कराया कि पारम्परिक विधि से लगाई गई फसल में 05-06 सिचांईयों द्वारा 400-500 मिमी0 पानी पूर्ण फसल अवधि तक दिया जाता है। इसके सापेक्ष ड्रिप द्वारा सिचाई में वर्षा द्वारा उपलब्ध पानी के अलावा मात्र 125 से 150 मि.मी. सिंचाई पानी की आवश्यकता पड़ी है। प्रयोग में पाया गया कि ड्रिप द्वारा 75 या 100 प्रतिशत क्यूमलेटिव, पैन इवेपोरेषन के आधार पर दो दिन बाद सिंचाई देने पर पानी की 60-70 प्रतिशत बचत के साथ फसल की उत्पादकता में वृद्धि पायी गयी।
ई मेल चित्र सं. 2: विश्वविद्यालय फार्म पर गेहूं में टपक सिंचाई का अवलोकन करते हुए जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड के वैज्ञानिक।
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