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आदर्श पशुपालन एवं खेती की तकनीकों से रू-ब-रू होंगे पंतनगर किसान मेले में कृषक

पंतनगर किसान मेला, जो कि 24 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी तक चलेगा। इस मेले में पशुपालन पर विशेष फोकस रहेगा।

पंतनगर  किसान मेला, जो कि 24 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी तक चलेगा। इस मेले में पशुपालन पर विशेष फोकस रहेगा। पशुपालन में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से पशुओं के उत्पादन में काफी वृद्धि की जा सकती है, इसी प्रकार खेती में भी कुछ तकनीकों को अपनाने से फसल उत्पादन में वृद्धि को आसान बनाया जा सकता है। यह बात आज पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. ए.के. मिश्रा, ने अपने सभागार में आज पूर्वाह्न में आयोजित की गयी प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने प्रधानमंत्री की वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की योजना के अन्तर्गत इस किसान मेले में किसानों को कृषि व पशुपालन की महत्वपूर्ण बातों व आधुनिक तकनीकों से रू-ब-रू कराकर वैज्ञानिकों द्वारा उनकी आय बढ़ाने की ओर ध्यान दिये जाने के बारे में विस्तार से बताया। 

कुलपति ने कहा कि इस किसान मेले में आदर्श पशुपालन पर एक प्रदर्शन किया जायेगा, जिसमें पशुओं को बांधने का सही स्थान, उनके सही चारे की व्यवस्था, उनके दूध दुहने के समय ध्यान देने वाली बातों, गाय के गोबर व गोमूत्र का उचित प्रयोग, तथा पानी का संचयन कर पशुपालन में उसका उपयोग इत्यादि बातों की ओर किसानों का ध्यान आकर्षित किया जायेगा, ताकि वे बिना किसी अतिरिक्त व्यय के अपने पशुओं से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सके। प्रो. मिश्रा ने पशुपालन के साथ-साथ कुक्कुट पालन, मत्स्य उत्पादन, बकरी पालन, खरगोश पालन, मधुमक्खी पालन, फल-फूल उत्पादन इत्यादि को कृषि के साथ जोड़े जाने को इस किसान मेले में किसानों को बताये जाने की बात भी कही, ताकि कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त कर किसानों की आय में वृद्धि की जा सके। इसके अतिरिक्त प्रो. मिश्रा ने पशुपालन से जैविक खेती, को बढ़ावा मिलने तथा मृदा संरचना में सुधार होने के फायदे भी गिनाये। कुलपति ने संरक्षित खेती, प्रक्षेत्र यांत्रीकरण, समूह में खेती, इत्यादि के बारे में भी किसानों को जागरूक करने के लिए इस किसान मेले का उपयोग किये जाने के बारे में भी बताया।

प्रेस वार्ता में प्रिंट एवं इलेक्ट्रानीक मीडिया के प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गयें विभिन्न प्रश्नो का जबाब देते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में बीजों की उपलब्धता कराने हेतु सचल बीज प्रसंस्करण इकाई की व्यवस्था किये जाने, वर्षा जल का संचयन कर खेती व पशुपालन में प्रयोग किये जाने जिसके लिए गांवों में तालाबों का निर्माण किये जाने, खेती में बिचैलियों की भूमिका कम कर किसानों को उनके उत्पाद का अधिक मूल्य दिये जाने, महराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के विभिन्न कारण, इत्यादि के बारे में अपने विचार प्रकट किये। उन्होंने इस 103वें किसान मेले का उद्घाटन 24 फरवरी की अपराह्न में राज्यपाल, डा. के.के. पॉल द्वारा तथा समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह, तथा विषिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, व कृषि मंत्री, श्री सुबोध उनियाल, की उपस्थिति के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी। कुलपति ने किसान मेले में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों तथा किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने पत्रकारों से इस किसान मेले तथा इसमें प्रदर्षित की जाने वाली तकनीकों व जानकारियों को अपने-अपने समाचार पत्रों व चैनलों के माध्यम से दूर-दराज के किसानों तक पहुंचाने का अनुरोध भी किया।

इस प्रेस वार्ता में किसान मेला के आयोजक निदेषक प्रसार षिक्षा, डा. वाई.पी.एस. डबास, के साथ-साथ विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेषक, कुलसचिव, वित्त नियंत्रक व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। प्रेस वार्ता का संचालन निदेषक संचार, डा. ज्ञानेन्द्र शर्मा ने किया।

English Summary: Farmers in the Pantnagar Kisan Mela will be in line with ideal animal husbandry and farming techniques. Published on: 23 February 2018, 04:52 AM IST

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