कॉटन का भाव 47,060 रुपये प्रति गांठ की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है, जबकि कॉटन आईसीई जुलाई वायदा का भाव 11 साल की ऊंचाई 155.95 सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर पहुंच गया है. बता दें कि पिछली बार 2011 में भाव ने 155.95 सेंट प्रति पाउंड के ऊपरी स्तर को छुआ था.
सप्लाई की किल्लत की वज से भारतीय बाजार में कीमतों में तेजी आई है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका में सूखे और मिलों की खरीदारी की वजह से वहां पर कॉटन की कीमतों में मजबूती दर्ज की जा रही है.ओरिगो ई-मंडी (Origo e-Mandi) के असिस्टेंट जनरल मैनेजर तरुण सत्संगी के मुताबिक आने वाले हफ्तों में घरेलू बाजार में कॉटन में तेजी बनी रहने की संभावना है और भाव 48 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है.
तरुण सत्संगी का कहना है कि सिर्फ 44 हजार रुपये के नीचे डेली क्लोज होने पर ही लघु से मध्यम अवधि के लिए कमजोरी का रुझान बनेगा. तरुण तत्संगी कहते हैं कि कॉटन आईसीई का भाव हमारे द्वारा सुझाए गए लक्ष्य 157 सेंट प्रति पाउंड के बेहद करीब पहुंचने के बाद अब 173 सेंट प्रति पाउंड के लिए तैयार हो रहा है. उनका कहना है कि 137.9 सेंट प्रति पाउंड के नीचे डेली क्लोज होने पर तेजी की संभावना खत्म हो जाएगी और शॉर्ट टर्म के लिए करेक्शन शुरू हो जाएगा.बता दें कि भारत ने घरेलू कीमतों को शांत करने और संघर्षरत मिलों की मदद करने के लिए 30 सितंबर 2022 तक शुल्क मुक्त कॉटन आयात नीति का ऐलान किया था.
तरुण सत्संगी का कहना है कि सप्लाई की स्थिति में मामूली सुधार की उम्मीद और 11 फीसदी सीमा शुल्क/आयात शुल्क और उपकर को हटाने की वजह से शॉर्ट टर्म में कीमतों पर असर पड़ेगा. हालांकि वैश्विक स्तर पर सप्लाई की किल्लत होने से फसल वर्ष के लिए प्राइस ट्रेंड में कोई बदलाव नहीं होगा.
सीएआई ने उत्पादन अनुमान में की कटौती
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने मार्च की रिपोर्ट में 2021-22 सीजन के लिए कपास की फसल के अनुमान में संशोधित करते हुए कटौती कर दी है. सीएआई ने कपास की फसल के अनुमान को 8 लाख गांठ घटाकर 335.13 लाख गांठ (1 गांठ=170 किलोग्राम) कर दिया है. सीएआई ने इसके पहले 343.13 लाख गांठ का अनुमान जारी किया था. 2021-22 में देश में 353 लाख गांठ कपास की फसल हुई थी. पिछले तीन महीने में सीएआई ने उत्पादन अनुमान को 36 मिलियन गांठ के अपने मूल अनुमान में से संशोधित करते हुए 23 लाख गांठ की कटौती की है.
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तरुण सत्संगी कहते हैं कि सरकार के द्वारा उठाया गया यह कदम देरी से लेकिन एक स्वागत योग्य निर्णय है. हमारा मानना है कि इस कदम से आपूर्ति घाटे को सितंबर के अंत तक 10 से 12 लाख गांठ तक पूरा करने में मदद मिलेगी, जबकि कुल आपूर्ति घाटा 40 लाख गांठ (1 गांठ=170 किग्रा) है.
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक 1 मई 2022 तक फसल वर्ष 2022-23 के लिए कपास की बुआई 3 फीसदी बढ़कर कुल 15 फीसदी पूरी हो चुकी है, जबकि उसके पिछले हफ्ते 12 फीसदी बुआई हुई थी. वहीं पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 16 फीसदी था और पांच साल की औसत बुआई 15 फीसदी रही है.
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