
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र, शिकोहपुर, गुरुग्राम में किण्वित जैविक खाद के उपयोग पर दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के विभिन्न गांवों से आए कुल 25 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना और किण्वित जैविक खाद के निर्माण एवं उपयोग की तकनीकों से अवगत कराना था.
कार्यक्रम के दौरान केंद्र के प्रभारी अधिकारी, डॉ. भरत सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु किण्वित जैविक खाद के उपयोग पर जोर दे रही है. उन्होंने किसानों से गोबर गैस संयंत्र लगवाने की अपील भी की जिससे कि उनको घर में उपयोग हेतु ईंधन भी मिलेगा और खेतों के लिए किण्वित जैविक खाद का भी लाभ मिलेगा.
किण्वित जैविक खाद के प्रमुख लाभ
- किण्वित जैविक खाद के उपाय से भूमि में जैविक कार्बन के स्तर में होगा सुधार
- भूमि की उर्वरा शक्ति और फसल उत्पादन में होगी वृद्धि
- भूमि की जल धारण क्षमता में भी होगा सुधार
डॉ भरत सिंह ने जैविक खेती प्रणाली में उगाई जाने वाली फसलों के प्रमुख कीट एवं रोग प्रबंधन की तकनीकों के बारे में अवगत कराया. डॉ सिंह ने किसानों को रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती अपनाने हेतु आग्रह किया. इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, सस्य विज्ञान संभाग, नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिबाकर महंता ने किसानों को किण्वित जैविक खाद के बारे में बताया कि इसमें नाइट्रोजन के साथ साथ पोषक तत्वों की मात्रा अन्य खादों से ज्यादा है जिस कारण यह अन्य खादों से अधिक लाभदायक है. उन्होंने किसानों को किण्वित जैविक खाद को बनाने एवं उसको उपयोग करने के लिए आह्वाहन किया.
इसके अलावा, केंद्र के कृषि प्रसार विशेषज्ञ, डॉ. गौरव पपनै ने प्राकृतिक खेती और उसमें उपयोग किए जाने वाले जैविक संसाधनों के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने किसानों को बताया कि कैसे वे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके अपनी खेती को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बना सकते हैं.
सस्य विज्ञान विशेषज्ञ, राम सेवक ने किसानों को मृदा परीक्षण और कंपोस्ट निर्माण की विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मृदा परीक्षण से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की पहचान कर सही प्रकार की खाद और उर्वरक का चयन किया जा सकता है, जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.
कार्यक्रम के समापन सत्र में, प्रगतिशील किसान सुनील कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण से उन्हें किण्वित जैविक खाद के महत्व और उपयोग की सही तकनीक समझने में सहायता मिली है. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया.
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