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देश में आर्गेनिक उत्पादों के लिए अब नए नियम लागू हो गए हैं। सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए यह नियम लगाया गया है। देश में अब ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए प्रमाणन लेना आवश्यक हो गया है। अब कोई भी कीसी उत्पाद को ऑर्गेनिक बताकर नहीं बेच सकेगा जब तक उसके लिए प्रमाणन न लिया गया हो। यह नियम भारतीय खाद्द संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की नई अधिसूचना के एक जुलाई से प्रभाव में आने के लागू हो गया है। अभी तक यह नियम सिर्फ निर्यात किए जाने वाले ऑर्गेनिक उत्पादों पर लोगू होता था।
एफएसएसएआई की अधिसूचना में कहा गया है कि बीते 29 दिसंबर को भारत के राजपत्र में प्रकाशित खाद्द संरक्षा एवं मानक (जैविक उत्पाद) नियमन 2017 के मुताबिक, 1 जुलाई से किसी उत्पाद को जैविक तौर पर बेचने के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन के दिशा-निर्देशों के तहत मान्यता प्राप्त संस्था या पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम से प्रमान- पत्र लेना होगा पहले से तैयार उत्पाद बेचने के लिए 30 सितंबर 2018 तक स्टीकर चस्पा करने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही उत्पादों की प्रोसेसिंग वाली इकईयों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है की वो 30 सितंबर तक ऑर्गेनिक फूड का लाइसेंस ले लें।
नियम की अगर बात करें तो इसमें दो समूह बना दिए गए है। छोटे किसानों को नियम के तहत छूट दी गई है। ऐसे किसान जिनकी सालाना आमदनी 12 लाख रुपये या इससे कम है उनपर यह नियम लागू नहीं होगा और वह सीधे अपने उत्पाद उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं।
देश में ऑर्गेनिक खेती का बाजार और किसान भी काफी संख्या मे हैं। किसानों की बात करें तो देश में प्रमाणिक ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों की संख्या 8.35 लाख है। देश में ऑर्गेनिक खेती का क्षेत्र भी बड़ा है इसकी खेती 14.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती है। वहीं 300 करोड़ लाख का है ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों का संगठित बाजार।
कृषि जागरण स्टाफ
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