मौजूदा वक्त में गोबर की अहमियत काफी बढ़ गई है. अगर पिछले कुछ सालों की बात करें, तो भारत सरकार, कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, अनुसंधान केंद्र और वैज्ञानिकों द्वारा जैविक खेती की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
इसी कड़ी में राजस्थान के करौली जिला के माड़ क्षेत्र में किसानों का जैविक खेती में रुझान तेजी से बढ़ रहा है. यहां पिछले कुछ सालों में किसानों ने जैविक खेती पर अधिक ध्यान दिया है.
खासतौर पर सब्जी व फलों की खेती में जैविक खाद का उपयोग अधिक कर रहे हैं. इसके साथ ही किसान रासायनिक खाद से किनारा करते जा रहे हैं. किसानों का मानना है कि खेती करते समय रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल बीमारियों का कारण बनता है, इसलिए अब हम जैविक खेती की कदम बढ़ा रहे हैं. इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसानों को काफी प्रेरित भी किया जा रहा है.
गोबर की हो रही बुकिंग
खास बात यह है कि मौजूदा वक्त में जैविक खाद की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान गोबर का संग्रहण करने लगे हैं. इससे किसानों का काफी अच्छा लाभ भी मिल रहा है. इसी लाभ को बढ़ाने के लिए अब किसान पशुपालकों से गोबर की घर बैठे ही बुकिंग करा रहे हैं. जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पशुपालक सालभर के गोबर का ठेका लेते हैं और उसे जैविक खाद के लिए एकत्र कर लेते हैं.
एक गोबर की ट्रॉली की कीमत
माड़ क्षेत्र के गांवों में गोबर की एक ट्रॉली 2 हजार से 2200 रुपए तक की बिक रही है. ऐसे में पशुपालकों को काफी अच्छा लाभ हो रहा है, साथ ही किसानों को भी फसलों से अच्छी पैदावार मिल रही है.
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कंपनियां करवा रही जैविक खेती
आज के समय में जैविक तरीके से हो उगाई सब्जियों व फलों की मांग ज्यादा है, इसलिए बाजार में अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. ऐसे में बड़ी-बड़ी कंपनियां किसानों से जैविक खेती करने का अनुरोध कर रही हैं. इसके साथ ही किसानों ने जैविक उत्पाद खरीद रही हैं.
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