द्रौपदी मुर्मू आदिवासी महिला मंत्री हैं, जो अब राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए (NDA) की तरफ से खड़ी हुई हैं. वह झारखंड की गवर्नर भी रह चुकी हैं. आपको बता दें कि मुर्मू उड़ीसा के मयूरभंज जिले के गांव उबरबेड़ा की रहने वाली हैं.
पहले इस गाँव का नाम तक किसी ने नहीं सुना था, लेकिन अब यह गांव पूरी तरह मीडिया की लाइमलाइट में छाया हुआ है सिर्फ और सिर्फ द्रौपदी मुर्मू की वजह से. अभी वे राष्ट्रपति बनी भी नहीं उससे पहले ही उनके गांववासी खुशियाँ मना रहे हैं.
'विजय दिवस' मनाने की भी तैयारी
उन्होंने आज यानि गुरुवार को गांव में 'विजय दिवस' मनाने की भी तैयारी की है उन्हें पूरा यकीन है कि मुर्मू ही राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठेंगी. इसके लिए गांव वासियों ने सड़कों को पूरी तरह साफ कर दिया है और घरों को भी रोशनी और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है.
इसके साथ ही पारंपरिक लोक नृत्य मंडलियां, विशेष रूप से संथाली नृत्य कलाकार भी तैयार हैं. इसके अलावा आज के दिन 'किसानों ने छुट्टी लेने का भी फैसला किया है, क्योंकि ऐसा देश में पहली बार है जब कोई आदिवासी देश का राष्ट्रपति बनेगा.
कम आबादी का है उनका गांव
आपको बता दें कि उनके गांव में लगभग 6 हजार लोग रहते हैं जिनमें से 50 लोग BSF और CRPF में काम करते हैं और बाकि लोग खेती किसानी, पशुपालन जैसे मुर्गी पालन, बकरी पालन आदि कर के अपने घर का गुजर बसर करते हैं.
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