हर साल सितंबर से लेकर नवंबर तक प्याज की कीमतें आसमान छूने लगती है. प्याज की कीमतों में गरमी सितंबर से दिसंबर तक होती है. और ऐसा विगत कई वर्षों से होता आ रहा है. प्याज का मसला ऐसा हो चुका है कि केंद्र व राज्य दोनों ही सरकारें फिक्रमंद हो जाती हैं. कई मौकों पर प्याज की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं. इसलिए सरकार की कोशिश रहती है कि प्याज की कीमतों को काबू में रखा जाए. इसी कड़ी में प्याज को लेकर केन्द्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. दरअसल केंद्र सरकार 2020 में 1 लाख टन का प्याज का बफर स्टॉक बनाएगी. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी.
सरकार ने चालू वर्ष के लिए 56,000 टन का एक बफर स्टॉक बनाया था. लेकिन यह प्याज भी कम पड़ गया और प्याज की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं. अभी भी देश के अधिकांश शहरों में प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर चल रही हैं. हालांकि, सरकार ने सरकारी खरीद एजेंसी एमएमटीसी के जरिये बड़ी मात्रा में प्याज के आयात सौदे किये हैं. यह प्याज देश में आना शुरू हो चुका है. अधिकारी ने बताया, "इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की हाल की बैठक में विस्तार से चर्चा की गई. इस बैठक में यह तय किया गया कि अगले साल के लिए लगभग 1 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया जाएगा."
सहकारी एजेंसी नैफेड इस साल की तरह अगले साल भी प्याज का बफर स्टॉक बनाएगी. एजेंसी रबी सीजन की खरीद करेगी. खरीफ सीजन वाले प्याज के मुकाबले यह प्याज जल्दी खराब नहीं होता है. इस साल प्याज उत्पादन में 26 फीसदी की गिरावट आई है. खरीफ सीजन यानी गर्मियों में बोई जाने वाले प्याज का उत्पादन इसलिए घटा है क्योंकि इस साल मानसून में देरी हुई और बाद में प्रमुख राज्यों खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में बेमौसम बारिश हुई. इससे प्याज की काफी फसल खराब हो गई. बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए, सरकार ने कई कदम उठाएं हैं. सरकार ने बड़े पैमाने पर प्याज के आयात सौदे किये हैं. इसके अलावा प्याज स्टॉक लिमिट भी लगाई है.
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