राजस्थान में इन दिनों जैतून की फसल किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है. बीकानेर जिले के लूणकरणसर में इजरायल से आई जैतून की फसल तकनीक को लेकर किसानों में उत्साह देखा जा रहा है. देश की पहली जैतून रिफाइनरी में राज्य भर के किसान अपनी फसल से ऑयल निकाल रहे हैं. देश के पहले जैतून रिफाइनरी में इस सीजन के पेराई का कार्य शुरू हो चुका है और किसान अपने पके हुए जैतून फसल को यहां लेकर आने लगे हैं.इजरायल से इम्पोर्ट किये गए जैतून की फसल से किसान अब लाभ ले रहे हैं. हालांकि शुरुआत में किसानों ने इसकी फसल को महत्व नहीं दिया था लेकिन अब ये किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है. लूणकरणसर स्थित देश की पहली जैतून रिफाइनरी का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने किया था.
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो जैतून की खेती में फल आने में लगभग पांच साल का वक्त लगता है. इस बीच इनकी दो से तीन बार कटाई की जाती है जिससे इनकी ग्रोथ रेट बढ़ती है. जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) का इस्तेमाल इन दिनों खाद्य और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने के लिए किया जाता है. इनकी टहनियों में तेल की मात्रा ज्यादा होने के कारण इसे कटाई के बाद जलाने के काम में भी लिया जाता है. वहीं इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीने से स्वास्थ्य में काफी लाभदायक है.
एक बड़े न्यूज़ वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में एक अधिकारी ने बताया कि राजस्थान में बड़े स्तर पर किसान जैतून की खेती कर रहे हैं. सरकार के द्वारा भी 182 हेक्टेयर में जैतून के फार्म लगे हुए हैं. राज्य के किसानों की अगर बात करें तो यहां किसानों द्वारा एक हज़ार हेक्टेयर में जैतून की खेती की जा रही है.
जैतून की रिफाइनरी लगने के बाद राज्य के किसानों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. किसानों को इसकी खेती में अधिक लाभ होने की संभावना दिखाई दे रही है. किसानों का मानना है कि जैतून के सभी पार्ट किसी न किसी प्रकार से उपयोग में लाए जा सकते हैं ऐसे फसलों की खेती में लाभ ज्यादा होना स्वभाविक है.
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