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अब 12 सेकंड में पता चल जाएगी मिट्टी की सेहत, भारतीय मृदा संस्थान ने विकसित की नई तकनीक

अधिकतर किसान मिट्टी परीक्षण कराने से इसलिए भी कतराते हैं क्योंकि इसमें समय अधिक लगता है. लेकिन अब चंद सेकंड में ही पता चल जाएगा कि आपकी मिट्टी की सेहत कैसी है और उसमें किन पोषक तत्वों की अधिकता और कमी है. दरअसल, मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित भारतीय मृदा संस्थान ने एक ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें चंद सेकंड में मिट्टी की सेहत का पता लगाया जा सकेगा. इस तकनीक को संस्थान ने इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम दिया है.

श्याम दांगी
मृदा परीक्षण
मृदा परीक्षण

अधिकतर किसान मिट्टी परीक्षण कराने से इसलिए भी कतराते हैं क्योंकि इसमें समय अधिक लगता है. लेकिन अब चंद सेकंड में ही पता चल जाएगा कि आपकी मिट्टी की सेहत कैसी है और उसमें किन पोषक तत्वों की अधिकता और कमी है. दरअसल, मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित भारतीय मृदा संस्थान ने एक ऐसी तकनीक विकसित की जिसमें चंद सेकंड में मिट्टी की सेहत का पता लगाया जा सकेगा. इस तकनीक को संस्थान ने इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम दिया है. जिसमें महज 12 सेकंड में ही यह पता लगाया जा सकेगा कि मिट्टी किन पोषक तत्वों की बहुलता है और किन पोषक तत्वों की कमी है. बता दें पारंपरिक तरीके से मिट्टी परीक्षण में 3 से 4 घंटे का समय लगता है.

इस तकनीक को संस्थान के वैज्ञानिकों ने केन्या के नैरोबी स्थित विश्व कृषि वानिकी केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर विकसित किया है जिसमें तकरीबन 5 साल का समय लगा है. इस दौरान तकरीबन 2 हजार से अधिक सैंपल की जांच की गई. वहीं इस तकनीक की भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद् (ICAR) ने भी सराहना की है.

अपने बयान में आइसीएआर ने कहा कि वर्तमान में अंधाधुंध उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की सेहत खराब हो रही है. मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, आयरन, कार्बन, मैंगनीज जैसे तत्वों की कमी आ रही है. ऐसे में मिट्टी की सेहत का ध्यान रखने में यह तकनीक मददगार होगी.

कैसे काम करती है यह तकनीक

इसके लिए संस्थान केन्या से विशेष प्रकार की मशीन मंगाई है जिसमें मिट्टी के कण रखें जाते है. जिसके बाद रेडिएशन की मदद से मिट्टी को स्कैन किया जाता है. मिट्टी के स्कैन होने के बाद एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से एक ग्राफ बन जाता है. इस प्रक्रिया में 20 से 30 सेकंड लगते हैं. इतने समय में मिट्टी में मौजूद 12 तत्वों की जांच हो जाती है. भारतीय मृदा संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक के. पात्रा ने बताया कि इस तकनीक से किसानों को तुरंत मिट्टी की सेहत पता चल जाएगी जिससे उन्हें पोषक तत्व डालने में मदद मिलेगी. 

English Summary: Now in 12 seconds, soil health will be known, indian institute of soil science has developed new technology Published on: 25 January 2021, 03:38 PM IST

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