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सदन में एक बार फिर पक्ष और विपक्ष के बीच हुए तर्क-वितर्क को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. गरीबी रेखा और आम जनता की भलाई को लेकर जब कांग्रस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने बोला तो उसके जवाब में बीजेपी नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने किसानों का सहारा लेते हुए कुछ ऐसा कह दिया कि वह खुद अपने जवाब में उलझ कर रह गए.
किसान अब नहीं कर रहे आत्महत्या!
किसानों के आत्महत्या को लेकर बीजेपी सांसद ने कहा जब से बीजेपी की सरकार बनी है तब से किसानों द्वारा आत्महत्या की खबर हम ने नहीं सुनी. वह इसलिए क्योंकि किसान अब आत्महत्या नहीं कर रहे. वह मजबूत बन चुके हैं और अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं. हालाँकि अगर सच में ऐसा हो तो वह किसी भी देश के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं. लेकिन भारत में अब तक कोई ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिला है. निशिकांत का यह बयान सत्य और तथ्य दोनों से कोसो दूर नजर आता दिख रहा है.
किसान आंदोलन को लेकर सदन में फिर उठा सवाल
यह कितना सच है इस बात से हम सभी भली भांति अवगत हैं. क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान देश के कई अन्नदाताओं ने अपनी जान गवाई है. वहीँ दूसरी और उन्होंने यह भी कहा कि किसान अब सरकार से साथ मजबूती से खड़े होकर अपनी बात मनवा सकते हैं. किसान आंदोलन को लेकर भी निशिकांत ने भरे सदन में कहा कि इस दौरान किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की.
आंकड़ों के हिसाब से इतने किसानों की गई जान
चलिए अब नजर डालते हैं निशिकांत दुबे ने सदन में जो कहा वह कितना सच है और कितना नहीं. आपको एक बार फिर बता दें निशिकांत के मुताबिक जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से लेकर किसानों ने आत्महत्या नहीं की है. लेकिन वहीँ NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में वर्ष 20000-18 तक कुल 1805 किसानों ने आत्महत्या की. इसकी जानकारी खुद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने लिखत रूप से दी है.
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दूसरी ओर पंजाब के छह जिलों से कुल 9,291 किसानों के आत्महत्या की खबर आई है. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सदन में इतनी बड़ी बात यूं ही कैसे कह दी गयी.
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