केले की खेती करने वाले किसानों के लिए यह लेख बेहद खास है. विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था इफको (IFFCO) ने केले के छिलके से कई उत्पाद बनाने का काम शुरू किया है, जो किसानों को अधिक लाभ दिलाने में लाभकारी साबित है
जानकारी के अनुसार, अब केले के फल के अलावा इसके पौध की तने से कपड़ा, कागज, चाकलेट व खाद आदि जैसे उत्पाद बनाने पर कार्य शुरू किया जा रहा है. यह पहल इफको की ओर से शुरू की गई है, जिससे किसानों की आय बढ़ाया जाएगा.
इसी बीच इफको (इंडियन फर्टीलाइजर को-आपरेटिव लिमिटेड) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने बताया है कि सबसे पहले यह पहल गुजरात में कृषि मंत्री द्वारा शुरू की गयी थी. यहां केले के तने की पहली परत से कपड़ा, दूसरी परत से कागज व तीसरी परत जो काफी मुलायम गूदे के रूप में चाकलेट बनाने का काम शुरू किया गया था. इसके अलावा केला के तने की गन्ने की तरह पेराई भी कराई जाती है, जिससे निकलने वाले पानी से तरल खाद बनाई जाती है. इसे कुछ साल पहले बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इफको की ओर से किसानों को सहयोग एवं प्रशिक्षण देकर फिर से इस कार्य के शुरू किया जा रहा है.
इफको केले की खेती को दे रहा बढ़ावा (IFFCO Is Promoting Banana Cultivation)
उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिले में केला की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. उस ही जिले के एक किसान रामसरन वर्मा करीब तीन सौ एकड़ में केला खेती करते हैं. बता दें कि इफको पद्मश्री राम सरन के सहयोग से किसानों को केला की तने से बनने वाली वस्तुओं को बनाने वाले प्लांट लगाने के लिए प्रेरित करेगा. बता दें कि इफको केले के तने से चॉकलेट, कपड़ा, चाकलेट, कपड़ा, कागज और खाद आदि जैसे उत्पाद बनाएगा. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी, साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
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केले की खेती से लाभ (Benefits of banana cultivation)
किसानों का कहना है कि परंपरागत खेती छोड़ केले की खेती की शुरुआत करने से लाखों रुपए का लाभ मिला. इस बार एक एकड़ में केले की खेती करने से एक से सवा लाख रुपए तक का लाभ मिला है. अच्छी बात यह है कि यहां व्यापारी आकर केले की फसल खरीदते हैं, वैसे इसका बाजार लखनऊ, दिल्ली, हरियाणा समेत कई जगह है.
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