न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर, विश्व के अग्रणी कृषि उपकरण ब्राण्ड, ने पिछले साल की तरह इस साल भी पटियाला जिले में कल्लर माजरी गांव में फसल अवषेषों को खेतों में जलाने की पुरानी पृथा को राकने और उसके पर्यावरण हितैषी समाधानों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए अभियान शुरु किया है। अभियान की शुरुआत गांव में आयोजित किए गए एक आयोजन के दौरान, पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों, न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर के वरिष्ठ अधिकारियों और कल्लर माजरी व नज़दीकी गांवों के किसानों की उपस्थिति में की गई।
इस अभियान को पंजाब सरकार के कृषि विभाग ने कुछ साल पहले किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए पर्यावरण हितैषी तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया था। पिछले साल न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत इस प्रोजेक्ट से जुड़ा और पुआल प्रबंधन के लिए अपनी मशीनें प्रदान करने के साथ ही, जरूरी प्रशिक्षण और प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए तकनीकी सहयोग भी दिया।
पिछले साल, कल्लर माजरी गांव में स्ट्रॉ प्रबंधन अभियान ने सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया कि कैसे स्ट्रॉ प्रबंधन तकनीक किसानों के उत्पादन में वृद्धि कर सकती है और भविष्य में फसल के विकास के लिए पोषक तत्वों की रक्षा के साथ ही वायु प्रदूषण को कम कर सकती है। माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने “मन की बात“ कार्यक्रम में भी इस प्रयास की सराहना की है।
न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर ने कृषि और किसान कल्याण विभाग, हरियाणा सरकार के साथ भी फसल अवशेषों को जलाने के पुरानी प्रक्रिया को रोकने और दायित्व स्ट्रॉ प्रबंधन के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सहयोग किया है।
हरियाणा में परियोजना को पानीपत और फतेहाबाद के प्रधाना और डांगरा गांव में, कृषि और किसान कल्याण विभाग, हरियाणा सरकार के अधिकारियों की, कृषि विभाग के अधिकारियों, न्यू हॉलैंड कृषि के वरिष्ठ अधिकारियों, न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर के डीलर्स की उपस्थिति में आसपास के गांवों से किसानों की उपस्थिति में शुरू किया गया था।
इस नई परियोजना के तहत, न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर ने अपनी कई नई मशीनों को प्रस्तुत किया है, जिनमें ट्रैक्टर, बेलर, मल्चर, रेक, फोर्कलिफ्ट को कृषि और किसान कल्याण विभाग, हरियाणा सरकार को प्रदान किए गए ताकि इन मशीनों का इस्तेमाल डांगरा और आसपास के गांवों के किसानों को इन मशीनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। और साथ ही, किसान इनका इस्तेमाल खेतों में बखूबी इस्तेमाल करते हुए किसान फसल अवषेष को जलाने के बदले उनका सदुपयोग कर सकते हैं। अपने स्ट्रॉ प्रबंधन समाधान प्रदान करने के अलावा, न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर इस परियोजना को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगी।
भारत में हर वर्ष 620 मिलियन टन फसल अवषेष उत्पन्न होता है, जिसमें भारी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। इसमें से अधिकतर पुआल खेतों में जला दी जाती है जिससे भयानक प्रदूषण फैलता है। यही स्मॉग का मुख्य कारण है जिसकी चपेट में पूरा उत्तर भारत आता है और स्वास्थ्य की कई समस्याएं बढ़ जाती हैं। यह समस्या पिछले कुछ सालों में और बढ़ गई है क्योंकि इसके प्रबंधन के आसान और सस्ते उपाय मौजूद नहीं हैं और एक फसल की कटाई के बाद अगली फसल की बुवाई के बीच का समय बहुत कम होता है।
इस मौके पर न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर के क्रॉप सॉल्यूशंस के उत्पाद मैनेजर श्री बरजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘केवल हरियाणा और पंजाब में सालाना लगभग 35 मिलियन टन धान के पुआल को खेतों में जलाया जाता है। इससे ना केवल वातावरण प्रदूषित होता है बल्कि मिट्टी भी दूषित होती है और उसकी उत्पादकता कम भी कम होती है। न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर इस समस्या से निपटने के लिए सबसे वहनीय और आर्थिक रुप से व्यावहारिक समाधान उपलब्ध कराती है जो ना केवल वातावरण के प्रदूषण को रोकते हैं बल्कि किसानों को आमदनी का अतिरिक्त स्त्रोत भी प्रदान करते हैं।‘‘
विश्व स्तर पर न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर ने 1940 में दुनिया का पहला ऑटोमैटिक बेलर लांच कर डंठल और पुआल इकट्ठा करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया था। भारत में, न्यूहॉलैंड विद्युत उत्पादन के लिए बायोमास एकत्र करने के साधनों में इंडस्ट्री लीडर है। धान और अन्य फसलों के अनुपयोगी हिस्सों के बायोमास से बिजली पैदा करने में इसकी मशीनें बहुत सहायक हैं। चीनी मिलों में गन्नों के बेकार बचे हिस्सों से भी बिजली के सह-उत्पादन में इसकी मशीनें सहायक हैं। धान के केवल एक सीज़न में न्यूहॉलैंड के एक बीसी 5060 बेलर की मदद से लगभग 950 ग्रामीण परिवारों के लिए एक साल के लिए आवष्यक बिजली पैदा की जा सकती है।
न्यूहॉलैंड एग्रीकल्चर का लक्ष्य पूरी दुनिया के किसानों, ठेकेदारों और कृषि व्यवसाय से जुड़े लोगों की मदद करना है ताकि वे पैदावार बढ़ाने के साथ फसल के उत्पादन और कटाई के सभी पहलुओं में अनमोल संसाधनों का बेहतर उपयोग करें।
कंपनी ने किसान बिरादरी का समर्थन करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800 41 9 0124 के साथ एक समर्पित ग्राहक हेल्पलाइन भी स्थापित की है जो कि उनके प्रश्नों के उत्तर देने और 24 घंटे उनको अपनी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। हेल्पलाइन हिंदी और अंग्रेजी समेत 8 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
चंद्र मोहन, कृषि जागरण
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