बलिया उत्तरप्रदेश, प्रदेश सरकार ने बीहड़ बंजर और जलभराव वाली भूमि में सुधार एवं उसे उर्वर बनाने के लिए हर जनपद को लक्ष्य निर्धारित किया गया है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना से यह कार्य कराया जा रहा है. इस योजना का विस्तार और 2026 से लेकर 2027 तक करने का निर्णय लिया गया है.
इस योजना से किसानों को काफी हद तक लाभ हो रहा है. जनपद में उसर बंजर भूमि सुधार के लिए 400 हेक्टेयर का नया लक्ष्य निर्धारित था. इसके लिए 50 लाख का बजट आवंटित किया गया पुराने लक्ष्य के सापेक्ष 340 हेक्टेयर उसर भूमि को खेती के योग्य बनाया गया है. 47.50 लाखों रुपए खर्च हुए हैं. उसर भूमि पर न्यूनतम 1:30 फीट ऊंची मेड बनाई जाती है. स्क्रेपिंग के तहत मिट्टी की ऊपरी और निचली परतों में से नमक को पूरी तरह हटा दिया जाता है. नमक के खेत से बाहर किसी गड्ढे में डाल दिया जाता है अथवा किसी नाली में बहा दिया जाता है. सब प्लांटिंग के तहत खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लेना तीसरा महत्वपूर्ण कदम होता है. खेत का समतलीकरण सबसे जरूरी काम है.
अगर खेत पूरी तरह समतल नहीं होगा तो खेत में डाले जाने वाला जिप्सम (Gypsum) किसी एक जगह इकट्ठा हो जाएगा. समतल हो गए खेत में ढाल की और अथवा खेत के बीचो-बीच खेत में नाली बनाया जाता है. उसर को उर्वरक बनाने वाली जिप्सम को मिट्टी में मिला कर उसे खेती के योग्य मनाया जाता है.
इस संबंध में भूमि संरक्षण अधिकारी संतोष यादव ने बताया साथ ही साथ उन्होंने यह भी बात कही की उसर भूमि को सुधारने के लिए कई तरह की विधियां हैं.
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इनमें से सबसे कारगर विधि ढैंचा बोना, मेड़ बंदी, स्क्रेपिंग, जिप्सम मिक्सिंग आदि तक की प्रक्रिया से जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है. अच्छी मजबूत मेंड ही खेत में नमी को टिकाऊ रखती है.
रबीन्द्रनाथ चौबे, कृषि मीडिया बलिया, उत्तर प्रदेश
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