दिन प्रति दिन वातावरण की खराब स्थिति, प्रदूषित हवा और पेट्रोलियम पर बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए केंद्र सरकार इथेनॉल बनाने पर फोकस कर रही है, ताकि पेट्रोलियम आयात (Petroleum Imports) को कुछ कम किया जा सके.
सरकार का ये मानना है कि जो पैसा तेल के लिए दूसरे देशों को दिया जा रहा है, वो हमारे देश के किसानों (Farmers) और चीनी मिलों को मिले. जिससे ना सिर्फ उनके आर्थिक हालातों में बदलाव लाया जा सके, बल्कि देश के वातावरण को और प्रदूषित होने से बचाया जा सके.
आने वाले 1 तारीख से होगा नया बदलाव (There will be new changes from the coming 1st.)
आपको बता दें कि सरकार ने इसको लेकर अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है. 1 अप्रैल 2023 से पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाया जाएगा. अभी यह 10 फीसदी के आसपास है. इस मिशन में उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान होगा. साल 2018-19 से 2020-21 तक यानि पिछले तीन साल में उत्तर प्रदेश ने देश में सबसे अधिक 1320400 किलो लीटर इथेनॉल का उत्पादन (Ethanol Production) किया है, जो अपने आप में रिकॉर्ड है. अब तक किसी अन्य राज्यों से इसको लेकर इतनी बड़ी पहल की शुरुआत नहीं की गयी है. दूसरी ओर, महाराष्ट्र ने 911800 किलो लीटर का उत्पादन कर यूपी से काफी पीछे है. उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है. यह सालाना लगभग 179 मिलियन टन गन्ना पैदा होता है. जो देश का लगभग 45 फीसदी है.
इथेनॉल (Ethanol) एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
इसे मुख्य तौर पर गन्ना, मक्का और चावल से तैयार किया जाता है. इथेनॉल ना सिर्फ इकोनॉमी के लिए अच्छा है, बल्कि चीनी उद्योग के लिए भी राहत देने वाला है. देश में चीनी की घरेलू खपत इस समय लगभग 260 लाख टन है. जबकि चीनी का उत्पादन (Sugar Production) लगभग 330 लाख टन हो रहा है. इससे मिलों को नकदी नुकसान होता है. इस समस्या का समाधान इथेनॉल के रूप में निकाला गया है. साल 2017-18, से 2019-20 तक चीनी मिलों ने तेल कंपनियों को इथेनॉल बेचकर करीब 22 हजार करोड़ रुपए इकट्ठा किए थे.
चीनी को इथेनॉल में बदलने की प्रक्रिया ने पकड़ी रफ़्तार
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2020-21 में रिकॉर्ड 22 लाख टन चीनी इथेनॉल में बदली गई. इससे पहले 2019-20 में 9.26 लाख टन एवं 2018-19 में 3.37 लाख टन चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित किया गया था. इथेनॉल का उत्पादन गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सहायक होगा.
देश में क्या है इथेनॉल उत्पादन की स्थिति
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में जो ब्यौरा दिया गया है, उसके अनुसार 2020-21 में 2955400 किलो लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया गया. जबकि 2018-19 में यह सिर्फ 1885500 लाख टन ही था. वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक देश में कुल 65,71,400 किलो लीटर उत्पादन हुआ. सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) , महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश एवं पंजाब शामिल हैं. इनकी डिस्टलरियों ने इथेनॉल ब्लेंडेड विथ पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत तेल कंपनियों को इसकी आपूर्ति पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग के लिए की.
वहीँ दूसरी और सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इथेनॉल के इस्तेमाल को लेकर काफी जोड़ दिया था. उन्होंने ये भी स्पष्ट करते हुए कहा था कि आने वाले समय में भारत की निर्भरता पेट्रोलियम से बिल्कुल खत्म हो जाएगी और धीरे-धीरे इथेनॉल, बायो-गैस और CNG पर शिफ्ट हो जाएंगे. ये ना सिर्फ आम जनता के लिए पॉकेट फ्रेंडली होगा बल्कि नेचर फ्रेंडली भी है.
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