राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) एक वैज्ञानिक थिंक टैंक है जो कि भारत में कृषि अनुसंधान, शिक्षा तथा प्रसार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित है. अकादमी ने दिनांक 4 व 5 जून, 2023 को अपनी 30वीं वार्षिक आम सभा बैठक (AGM) का आयोजन किया और साथ ही अपना स्थापना दिवस समारोह मनाया. कृषि विज्ञान के अनेक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 750 से भी अधिक निर्वाचित फेलो को एकसाथ लाकर, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी ने अपनी विशेषज्ञता और योगदान को प्रदर्शित किया जिसका कि देश की कृषि प्रगति हेतु नवोन्मेषी रणनीतियों को सही आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
दिनांक 4 जून, 2023 को एजीएम के पहले दिन दो पैनल चर्चा आयोजित की गईं. पहले पैनल में ‘’अमृतकाल 2047 के लिए कृषि अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रसार के लिए रोडमैप’’ पर चर्चा की गई और इस अनुकूल समयकाल में किसानों की आय को बढ़ाने तथा उनके बेहतर कल्याण के उद्देश्य से नवाचार करने और एक अनुसंधान एजेण्डा विकसित करने के तरीकों की खोज की गई. दूसरे पैनल के अंतर्गत ‘’कृषि में उभरती चुनौतियों का समाधान करने हेतु कृषि विश्वविद्यालयों को सशक्त करना’’ विषय पर चर्चा की गई जिसमें कृषि के विकासशील भूदृश्य को ध्यान में रखते हुए उभरती चुनौतियों का समाधान करने में कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका को पुन: परिभाषित किया गया. दोनों पैनल की अध्यक्षता डॉ. हिमांशु पाठक, अध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी तथा सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने की.
पैनल चर्चा के अलावा, डॉ. विलियम डॉलेन्टे डार, पूर्व महानिदेशक, इक्रीसेट, हैदराबाद एवं डॉ. ए. कोहली, उप महानिदेशक (अनुसंधान), आईआरआरआई, फिलीपाइन्स ने दो विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किए . दोनों व्याख्याता अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाले प्रख्यात वैज्ञानिक हैं.
दिनांक 5 जून, 2023 को एजीएम का नेतृत्व डॉ. हिमांशु पाठक, अध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी ने अकादमी के सचिव प्रो. के.सी. बंसल तथा अन्य अधिकारियों के साथ किया. कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी ने इस सत्र में पद्मश्री पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों तथा किसानों, उद्योगपतियों एवं मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया. इसके अलावा, अकादमी को अपने एक फेलो, प्रो. राजीव वार्ष्णेय, पूर्व सचिव, एनएएएस को सम्मानित करने में गर्व का अनुभव हुआ जिन्हें रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन का फेलो निर्वाचित किया गया था . यह किसी कृषि वैज्ञानिक के लिए एक दुर्लभ विशिष्टता है.
दिनांक 5 जून, 2023 को श्री बी.वी.आर. सुब्रहमण्यम, आईएएस, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीति आयोग ने स्थापना दिवस व्याख्यान प्रस्तुत किया. अपने व्याख्यान में, उन्होंने कृषि के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और इस बात पर बल दिया कि किस प्रकार ये उपलब्धियां एक ग्लोबल लीडर बनाने में भारत का रूपांतरण करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं. श्री सुब्रहमण्यम ने आंकडों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि भारत में विश्व की आधी जनसंख्या का भरण पोषण करने की क्षमता है. साथ ही उन्होंने राष्ट्र की खुशहाली के लिए कृषि सेक्टर के महत्व पर प्रकाश डाला.
सुब्रहमण्यम ने भावी चुनौतियों को भी सम्बोधित किया. उन्होंने मत्स्य पालन एवं पशुपालन जैसे मुद्दों से निपटने के महत्व पर बल दिया और यह स्वीकार किया कि इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने तथा नवीन समाधान करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, उन्होंने उद्योग जगत द्वारा महसूस की गईं चुनौतियों से पार पाने के लिए लगातार नवाचार एवं अनुकूलन की जरूरत पर बल देते हुए कृषि सेक्टर में गतिशील अनुसंधान की जरूरत पर बल दिया. कुल मिलाकर, इनके व्याख्यान से भारत की कृषि उपलब्धियों, खाद्य उत्पादन में एक ग्लोबल लीडर के रूप में इसकी क्षमता तथा सेक्टर में टिकाऊ प्रगति को सुनिश्चित करने में जरूरी कदमों के बारे में मूल्यवान विचार मिले.
प्रो. रमेश चंद, नीति आयोग के एक विशिष्ट सदस्य ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई तथा विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में कृषि की भूमिका पर अपने मूल्यवान विचार रखे. उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों के बावजूद, देश में कृषि के निरन्तर महत्व पर प्रकाश डाला. प्रो. रमेश चंद ने जैविक उत्पादों की ओर ग्लोबल बदलाव पर बल देते हुए कहा कि किस प्रकार यह भारतीय कृषि को फलने-फूलने का एक अवसर प्रदान करता है. उन्होंने जैविक उत्पादों के लिए बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए टिकाऊ रीतियों, बढ़ी हुई उत्पादकता एवं उन्नत बाजार पहुंच की आवश्यकता पर बल दिया. इसके अलावा, प्रो. रमेश चंद ने मैन्युफैक्चरिंग उद्योग द्वारा सामना की जा रही आलोचना विशेषकर रोजगार सृजन की कमी और श्रम की बचत करने वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने में बढ़ोतरी के संबंध में अपने विचार रखे. यह आलोचना इस धारणा के कारण उत्पन्न हुई है कि प्रौद्योगिकी में प्रगति होने के कारण रोजगार अवसरों में कमी हो रही है. इस मुद्दे को सम्बोधित करते हुए प्रो. रमेश चंद ने प्रौद्योगिकीय प्रगति और रोजगार सृजन के मध्य एक संतुलन बनाने की जरूरत बताई. उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों को पल्लवित करने के महत्व पर बल दिया जो कि उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा का बढ़ाने हेतु प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं.
डॉ. हिमांशु पाठक, अध्यक्ष, एनएएएस ने स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस कार्यक्रम में अकादमी के अन्य अधिकारियों नामत: डॉ. ए.के. सिंह एवं डॉ. के.एम. बुजरबरूआ, उपाध्यक्ष तथा प्रो. के.सी. बंसल एवं डॉ. डब्ल्यू.एस. लाकड़ा, सचिव, एनएएएस ने भाग लिया. अकादमी के पूर्व अध्यक्षों नामत: डॉ. त्रिलोचन महापात्र, डॉ. पंजाब सिंह एवं प्रो. आर.बी. सिंह ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी द्वारा आयोजित की गई 30वीं वार्षिक आम सभा बैठक कृषि वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और हितधारकों के बीच सहयोग, नवाचार एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाला एक उल्लेखनीय आयोजन साबित हुआ. प्रतिष्ठित जनों के एकसाथ आने से निसंदेह रूप से भारत में कृषि सेक्टर की सतत प्रगति और विकास में योगदान किया गया.
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