इफको के विपणन निदेशक योगेन्द्र कुमार ने 31 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में स्थिति कृषि जागरण कार्यालय का दौरा किया. जहां उन्होंने कृषि जागरण की टीम के साथ बातचीत की. अपने दौरे के दौरान उन्होंने केजे चौपाल में भी हिस्सा लिया. जहां उन्होंने नैनो उर्वरकों के उपयोग के बारे में किसानों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की. केजे चौपाल में पी.एस. सैनी- वरिष्ठ उपाध्यक्ष- कॉर्पोरेट संचार एवं जनसंपर्क, कृषि जागरण ने प्लांट देकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. इसके बाद, कृषि जागरण की शुरुआत से लेकर वर्तमान तक की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए एक लघु फिल्म दिखाई गई. इस लघु फिल्म में कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक एम.सी डोमिनिक और प्रबंध निदेशक शाइनी डोमिनिक द्वारा किसान हित में शुरू की गई विभिन्न पहलों पर चर्चा की गई, जिसमें 'फार्मर द जर्नलिस्ट' से लेकर 'मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड तक शामिल रहा.
वही केजे चौपाल में इफको के विपणन निदेशक योगेन्द्र कुमार ने संबोधित करते हुए कहा, “हम किसानों को कोई उत्पाद देते हैं, तो उससे ज्यादा जरुरी है कि किसान स्वेच्छा से ग्रहण करें और उसका प्रयोग करके लाभ ले. इन दोनों बातों में बड़ा अंतर है. वही इस अंतर को पाटने का काम कृषि जागरण कर रहा है. इसको देखकर मैं बहुत उत्साहित हूं कि कृषि जागरण टीम किस तरह से किसानों के बीच में जाकर किसानों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही है. साथ ही गाड़ी भेजकर भी किसानों को जागरूक कर रही है. ये बातें अद्वितीय हैं. इसमें कोई दोराय नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा, “नैनो उर्वरक किसानों की आवश्यकता है. मैं सभी किसानों से यही अपील करता हूं कि एक बार नैनो उत्पादों का प्रयोग अपनी फसलों में करके देखें. हालांकि, प्रयोग करके देखने से पहले उसके प्रयोग करने की विधि, मात्रा और समयांतराल को जरुर समझ लें. मेरा यह अटूट विश्वास है कि एक बार कोई किसान इसका प्रयोग कर लेता है, तो दोबारा भी इसका प्रयोग जरुर करेगा. यह मेरी गारंटी है. मैं इसकी गारंटी इसलिए नहीं देता क्योंकि मैं उस संगठन का हिस्सा हूं जिसने भारतीय वैज्ञानिकों की मदद से इसे सबसे पहले देश में पेश किया और किसानों तक पहुंचाया. मैं इस नैनो उत्पाद की गारंटी इसलिए देता हूं क्योंकि मैंने खुद अपने खेतों में इसका इस्तेमाल और परीक्षण किया है.”
उन्होंने आगे कहा, “देखिए, अब समय यह नहीं है कि हम बहुत अधिक समय तक कृषि रसायनों का प्रयोग करके कृषि उपज बढ़ा सकते हैं. बहुत सारे लक्ष्य, बहुत सारी योजनाएं देश में माननीय प्रधानमंत्री जी लाए, और माननीय प्रधानमंत्री जी ने कई बार देश के किसानों से अपील की कि अगर धरती माता को तबाह करने से बचाना है तो अपनी फसलों में यूरिया के प्रयोग को कम या आधा कर दें. यदि हो सके तो नहीं करें. ऐसा उन्होंने कई दफ़ा कहा है. बहुत सारे मनीषी भी इस तरह के विचार व्यक्त कर चुके हैं. यहां तक कि यदि आगामी 25 वर्षों के दौरान भी इसी तरह से कृषि रसायनों का प्रयोग कृषि क्षेत्र में होता रहा तो धरती माता जो जीवंत हैं, जिनको हम अन्न और पोषण का मुख्य स्त्रोत मानते हैं, देवी का स्वरूप मानते हैं, माँ मानते हैं. उस माँ के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचेगा. उस माँ के स्वास्थ्य का चिंता करना बहुत आवश्यक हो गया है. इन गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिए नैनो उर्वरक विकसित किए गए हैं.”
उन्होंने आगे नैनो उर्वरकों के कई लाभों को रेखांकित किया, किसानों और पर्यावरण दोनों पर उनके सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “नैनो उर्वरकों का उद्भव हुआ है उससे समाज को क्या लाभ मिल सकता है. समाज को बताने का यह दायित्व हमारा है. नैनो उर्वरकों से ना सिर्फ किसानों को लाभ मिलता है, बल्कि धरती माता और प्रकृति को भी इसका लाभ मिलता है. कई प्रदेशों में जब पानी की जांच होती है तो उसमें नाइट्रेट की मात्रा आवश्यकता से अधिक मिलती है. ऐसे तमाम प्रमाण मिल चुके हैं. हमारे जलवायु में बहुत सारे गैसों का जो उत्सर्जन होता है उसकी मात्रा आवश्यकता से बहुत अधिक है. कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन भी इसके जिम्मेदार हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “नैनो उर्वरकों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इनके प्रयोग से कोई भी किसी भी तरह का प्रदूषण चाहें मृदा स्वास्थ्य का हो, वायु का हो और चाहें जल का हो. यह सब बिलकुल नहीं होता है. दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके प्रयोग से प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ता है. तीसरा सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो उपज होती है उसमें कोई हानिकारक अवशेष नहीं बचता है यानी उपज की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. जिन किसानों ने सही समय और सही मात्रा में हमारा नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और सागरिका उत्पाद इस्तेमाल किया है. उनकी उपज और उपज की गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई है. चौथा सबसे बड़ा लाभ यह है कि जब हम कृषि करते हैं तो कीड़ों और रोगों का रोकथाम करना बहुत जरुरी होता है. यदि हमारे उत्पादों को संतुलित रूप में फसलों में प्रयोग किया जाएगा तो कीड़ों और रोगों का प्रकोप भी कम हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पौधों को सामयिक और स्वस्थ पोषण मिलता है तो स्वाभविक रूप से पौधा स्वस्थ होता है. जब पौधा स्वस्थ होता है तो सामान्य तौर पर पौधों पर कीट और रोग भी कम लगते हैं. इसका एक और बड़ा लाभ यह है कि किसान किसी अन्य कृषि रसायन के साथ भी इसका प्रयोग कर सकते हैं. हालांकि, किसी कृषि रसायन के साथ मिलाकर प्रयोग करने से पूर्व किसान इसके रिएक्शन की जांच जरुर कर लें. इसके लिए एक सफ़ेद शीशे के गिलास या प्लास्टिक के गिलास में उसमें एक-एक ढक्कन दोनों को मिलाकर देख लें. अगर मिलाने के बाद कोई अवस्था परिवर्तन नहीं होता है, तो उसे मिलाकर फसल पर इस्तेमाल कर सकते हैं. यह खेत में भी हो जाता है. इसके लिए किसी प्रयोगशाला में भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. अभीतक के अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि इसका प्रयोग कुछ कृषि रसायनों को छोड़कर सभी रासायनिक दवाओं के साथ प्रयोग किया जा सकता है."
उन्होंने आगे कहा, “इफको ने 2500 एग्री ड्रोन खरीदा है. ये सभी ड्रोन उद्यमियों को निशुल्क बांटने की हमारी योजना है. उसमें से अभीतक हमनें 1734 ड्रोन वितरित भी कर दिए हैं. वही हम ड्रोन के साथ एक इलेक्ट्रिक व्हीकल भी दे रहे हैं. साथ ही एक जरनेटर भी दे रहे हैं. इलेक्ट्रिक व्हीकल में बहुत सारी सुविधाएं हैं. लगभग 14 लाख रुपये की लागत से आने वाले समान को हम मुफ्त में दे रहे हैं. इसके एवज में एग्री ड्रोन उद्यमियों से इफको केवल एक ही अपील करता है कि किसानों से 400 रुपये प्रति एकड़ स्प्रे के जगह पर केवल 300 रुपये आप लेना बाकि हम देंगे. इसके अलावा, इफको ने एक और योजना शुरू किया है. इसके अंतर्गत देशभर में ढाई करोड़ एकड़ जमीन पर स्प्रे करने का प्लान किया गया है. इसके लिए देशभर में जो बड़ी-बड़ी एग्री ड्रोन कंपनियां हैं उनसे हमने अनुबंध किया है. इसके अलावा हमने एक ऐप बनाया है. इस ऐप पर जैसे ही कंपनियां किसान के खेत में स्प्रे खत्म करने के बाद किसान से 300 रुपये लेकर फीड करती हैं. दूसरे दिन ही कंपनी को इफको के तरफ से प्रति एकड़ 100 रुपये मिल जाता है.”
कुमार ने आगे बताया कि इफको नैनो जिंक, नैनो कार्बन और एनपीके के लॉन्च की संभावना तलाश रहा है, और किसानों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में नैनो उर्वरक संयंत्रों की संख्या को दोगुना करने की योजना बना रहा है. वही इस ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का समापन धन्यवाद प्रस्ताव तथा यादगार क्षण को कैद करने के लिए एक समूह फोटोग्राफ के साथ हुआ.
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