देश में मशरूम की खेती किसानों की आय का एक बेहतरीन जरिया बनती जा रही है. किसानों ने मशरूम की खेती को बड़े स्तर पर करना शुरू कर दिया है. इसको एक वाणिज्यिक फसल के रूप में देखा जा सकता है. मशरूम की खेती इस समय देश के कई राज्यों में हो रही है. इसके लिए ठंडी जलवायु अनुकूल होती है. इसलिए इसकी अधिक पैदावार हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में होती है. उत्तराखंड में भी इसको बड़े पैमाने पर पैदावार ली जा रही है. किसान मशरूम की बेहतर तरीके से खेती कर सके इसके लिए किसानों को खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. यह प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किसानों को निर्धारित समय पर दिया जाता है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधी 4 दिन होती है. प्रशिक्षण के लिए 50 से अधिक किसान अप्लाई करते हैं. इस बार यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 से 27 जुलाई को होने जा रहा है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 52 किसानों का चयन हुआ है. प्रशिक्षण की अधिक जानकारी के लिए किसान खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय में संपर्क कर सकते हैं. चयनित किसान नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके अपना नाम चेक कर सकते हैं.
मशरूम की ट्रेनिंग में सेलेक्ट होने वाले किसान अपने नाम यहाँ देखें , कही आपका नाम तो नहीं.
देश में मशरूम की खेती किसानों की आय का एक बेहतरीन जरिया बनती जा रही है. किसानों ने मशरूम की खेती को बड़े स्तर पर करना शुरू कर दिया है. इसको एक वाणिज्यिक फसल के रूप में देखा जा सकता है. मशरूम की खेती इस समय देश के कई राज्यों में हो रही है. इसके लिए ठंडी जलवायु अनुकूल होती है. इसलिए इसकी अधिक पैदावार हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में होती है. उत्तराखंड में भी इसको बड़े पैमाने पर पैदावार ली जा रही है. किसान मशरूम की बेहतर तरीके से खेती कर सके इसके लिए किसानों को खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. यह प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किसानों को निर्धारित समय पर दिया जाता है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधी 4 दिन होती है. प्रशिक्षण के लिए 50 से अधिक किसान अप्लाई करते हैं. इस बार यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 से 27 जुलाई को होने जा रहा है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 52 किसानों का चयन हुआ है. प्रशिक्षण की अधिक जानकारी के लिए किसान खुम्ब अनुसन्धान निदेशालय में संपर्क कर सकते हैं. चयनित किसान नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके अपना नाम चेक कर सकते हैं.
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