भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के सबजपुरा फार्म में 'जल के बहुआयामी उपयोग' मॉडल का उद्घाटन किया गया. इस मॉडल का उद्देश्य पूर्वी भारत में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जल का कुशल और टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करना है. उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. एस.के. चौधरी द्वारा किया गया.
डॉ. चौधरी ने इस मॉडल में जल के दक्षतापूर्ण उपयोग की सराहना की और कहा कि यह मॉडल जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन की बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगा. उन्होंने इस मॉडल को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया. कार्यक्रम के दौरान एक प्रसार पुस्तिका का विमोचन और इस मॉडल पर आधारित एक शॉर्ट वीडियो भी जारी की गई.
विशेषज्ञों और संस्थानों की भागीदारी
इस उद्घाटन समारोह में कई प्रमुख कृषि विशेषज्ञ और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशकों ने भाग लिया. इनमें डॉ. जे.एस. मिश्रा (खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर), डॉ. ए. सारंगी (भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर), डॉ. एन.जी. पाटिल (राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, नागपुर), डॉ. सुनील कुमार (भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम) और अन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे.
मॉडल की विशेषताएं
संस्थान के निदेशक, डॉ. अनुप दास ने बताया कि यह मॉडल कृषि में दीर्घकालिक स्थिरता और जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है. इसमें मल्चिंग, कृषि-बागवानी प्रणाली, केंचुआ खाद और सौर ऊर्जा जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है.
डॉ. आशुतोष उपाध्याय, भूमि और जल प्रबंधन विभाग के प्रमुख, ने इस मॉडल के प्रमुख घटकों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसमें मिश्रित मछली पालन, बत्तख पालन, मशरूम उत्पादन और कृषि-जलीय भूमि विन्यास जैसी विधियां शामिल हैं, जो फसल विविधीकरण को बढ़ावा देती हैं.
वैज्ञानिकों की टीम का योगदान
इस मॉडल का विकास डॉ. अनुप दास के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किया गया. इसमें डॉ. आशुतोष उपाध्याय, डॉ. अजय कुमार, डॉ. अकरम अहमद, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. पवन जीत, डॉ. सुरेंद्र अहिरवाल और अन्य वैज्ञानिक शामिल रहे. इस टीम ने सहयोगात्मक प्रयासों से एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जो कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के लिए आदर्श है.
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