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अधिक उत्पादन से मिर्च हुई सस्ती

मजबूत एक्सपोर्ट के बावजूद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के प्रमुख लाल मिर्च उत्पादक इलाकों में 30 फीसदी ज्यादा फसल के चलते इसकी कीमतों में और गिरावट आई है। इसे देखते हुए ट्रेडर्स और ज्यादा कोल्ड स्टोरेज की तलाश में जुट गए हैं।

मजबूत एक्सपोर्ट के बावजूद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के प्रमुख लाल मिर्च उत्पादक इलाकों में 30 फीसदी ज्यादा फसल के चलते इसकी कीमतों में और गिरावट आई है। इसे देखते हुए ट्रेडर्स और ज्यादा कोल्ड स्टोरेज की तलाश में जुट गए हैं।

लाल मिर्च के एवरेज प्राइस एक महीने पहले के 80 रुपये प्रति किलो से गिरकर 65 रुपये प्रति किलो पर आ गए हैं। प्रीमियम वैरायटी तेजा की बिक्री करीब 90 रुपये प्रति किलो पर हो रही है, इसका दाम एक साल पहले के मुकाबले 50 फीसदी से ज्यादा गिरा है।

लाल मिर्च का करीब 3 लाख टन ज्यादा प्रॉडक्शन होने का अनुमान है। इसके लिए अधिक कोल्ड स्टोरेज स्पेस की जरूरत होगी। एक प्रमुख उत्पादक, विजयकृष्ण के एमडी रविपति पेरिया ने कहा, 'कोल्ड स्टोरेज भरे हुए हैं। हमें सरप्लस मिर्च को रखने के लिए 100 और कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होगी। हर कोल्ड स्टोरेज की औसत कैपेसिटी 3,000 टन की है।'

देश में हर साल करीब 14 लाख टन मिर्च पैदा होती है। 2016 की शुरुआत में कीमतों के 150 रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के बाद तीन राज्यों में रकबा बड़े पैमाने पर बढ़ा है। लेकिन, मौजूदा कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे पहुंच गई हैं। मिर्च की उत्पादन लागत करीब 70 रुपये प्रति किलो है।

English Summary: More chilled than more production Published on: 27 August 2017, 05:06 AM IST

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