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मानसून 2020: खेतों से धान का बीज उठाने पर नहीं पड़ेगा असमान वर्षा का प्रभाव

इस बार समय से मानसून के दस्तक देने से पश्चिम बंगाल में अमन धान की अच्छी खेती होने की संभावना बढ़ी है. मई से ही रुक-रुक कर वर्षा होने के कारण कुछ जिलों में अमन धान की रोपाई शुरू हो गई है. खेतों से धान का बीज उठाने के लिए भी पानी की जरूरत पड़ती है. खेत में पर्याप्त पानी नहीं रहने के कारण बीजों को उखाड़ने में दिक्कत होती है. राज्य के कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस बार मानसून पूर्व अच्छी बारिश हुई है.

अनवर हुसैन

इस बार समय से मानसून के दस्तक देने से पश्चिम बंगाल में अमन धान की अच्छी खेती होने की संभावना बढ़ी है. मई से ही रुक-रुक कर वर्षा होने के कारण कुछ जिलों में अमन धान की रोपाई शुरू हो गई है. खेतों से धान का बीज उठाने के लिए भी पानी की जरूरत पड़ती है. खेत में पर्याप्त पानी नहीं रहने के कारण बीजों को उखाड़ने में दिक्कत होती है. राज्य के कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस बार मानसून पूर्व अच्छी बारिश हुई है. लेकिन सभी जिलों में समान रूप से वर्षा नहं हुई है. कुछ जिलों में अधिक तो कुछ जिलों में कम बारिश हुई है. जिन जिलों में अधिक वर्षा हुई है वहां खेतों से बीज उठाने का काम काम शुरू हो गया है. कहीं-कहीं अमन धान की रोपाई होने लगी है. लेकिन जहां वर्षा कम हुई है वहां खेतों से थोड़ा विलंब से बीज उठाया जाएगा लेकिन इसका धान की खेती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. कम वर्षा वाले छेत्रों में भी खेतों में उतनी नमी है जिससे धान के बीज उठाने में कोई समस्या नहीं आएगी. समय से मानसून के दस्तक देने से खेतों में नमी बनी हुई है जिससे धान के बीज उठाने से लेकर खेतों में रोपोई करने का काम भी आसान हो गया है.

कृषि विभाग ने राज्य में 15 जून तक हुई बारिश पर जो रिपोर्ट तैयार की है. उसमें कुछ जिलों में वर्षा की कमी देखी गई है. धान की खेती के लिए बेहतर जिलों में गिने जाने वाले नदिया, मुर्शिदाबाद, मालदा, वीरभूम, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर में वर्षा का परिमाण कुछ कम है. मालदा में सबसे कम वर्षा हुई है. वहां स्वाभामिक मात्रा से 58 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. नदिया में 34 प्रतिशत, दक्षिण दिनाजपुर में 27 प्रतिशत, और उत्तर दिनाजपुर में 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है.

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन जिलों में कम वर्षा होने के बावजूद खेतों से धान का बीज उठाने में कोई असुविधा नहीं होगी. प्रारंभ में कम वर्षा वाले इन क्षेत्रों में अमन धान की रोपाई के काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इन सभी जिलों में धान के बीच नीचले क्षेत्रों में हैं. नीचले क्षेत्र में होने के कारण कम वर्षा होने पर भी खेतों में नमी बनी रहती है. किसानों को इन जिलों में धान के बीज उठाने में कोई असुविधा नहीं होगी.

दूसरी ओर धान उत्पादन के लिए खास माने जाने वाले कुछ जिलों में स्वाभाविक मात्रा से अधिक बारिश हुई है. सबसे अधिक धान उत्पादन करने वाले जिला बर्दवान में 95 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है. हावड़ा, हुगली, बाकुड़ा पूर्व मेदिनीपुर आदि जिलों में भी स्वभाविक मात्रा से अधिक बारिश हुई है. कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मानसून पूर्व अच्छी बारिश धान की खेती के लिए शुभ है. लेकिन जुलाई में भी स्वाभाविक वर्षा पर कृषि विभाग की नजर है. खेतों से बीज उठाने के बाद 21 दिनों के अंदर उसकी रोपाई कर देनी होगी. इतने समय का अंतराल रखकर किसानों को खेतों से बीज उठाने की सलाह दी जा रही है. जून के मध्य से से लेकर 15 जुलाई तक स्वाभाविक रूप से वर्षा होती है तो अमन धान की खेती अच्छी तरह से संपन्न होगी और इस बार उत्पादन भी बढ़ेगा.

English Summary: Monsoon 2020: Paddy farmers will not have any problem due to monsoon Published on: 17 June 2020, 07:24 PM IST

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