जहां एक तरफ नए कृषि कानूनों (Farm Lows) के खिलाफ किसानों ने आंदोलन छेड़ा हुई, तो वहीं दूसरी तरफ किसानों की बहतरी के लिए केंद्र सरकार (central government) ने एक बड़ा कदम उठाया है. जिससे लगभग 5 करोड़ किसानों को फायदा होगा. मोदी सरकार (Modi Government) की कैबिनेट बैठक (cabinet meeting) अहम बैठक हुई, जिसमें फैसला लिया गया है कि सरकार देश से 60 लाख टन चीनी निर्यात करेगी. इससे आने वाली इनकम से किसानों की आए बढ़ेगी, इसकी सब्सिडी और आय का पैसा सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा.
कैबिनेट बैठक में सरकार ने चीनी निर्यात (sugar exports) पर सब्सिडी (Subsidy) देने का फैसला भी लिया है, इस सब्सिडी का पैसा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा. 16 दिसंबर को हुई कैबिनेट की इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए जिनमे से किसानों को चीनी निर्यात पर सब्सिडी देना का फैसला खास है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने कैबिनेट में लिए गए फसलों के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार ने इस साल 60 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट पर सब्सिडी (Subsidy) देने का फैसला लिया है. सब्सिडी का ये पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा. इसके अलावा कैबिनेट मीटिंग में बिजली व्यवस्था को सुधारने और स्पेक्ट्रम (spectrum) की नीलामी (auction) करने का निर्णय भी लिया है.
Subsidy: कितनी मिलेगी सब्सिडी?
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी है कि इस साल चीनी की खपत करीब 260 लाख टन और उत्पादन 310 लाख टन होगा. इससे चीनी बिक्री को काफी बढ़ावा मिलेगा. 60 लाख टन चीनी निर्यात पर 6000 रुपए प्रति टन की दर से सब्सिडी किसानों को मिलेगी. जिसकी वजह से 5 करोड़ किसानों और चीनी मिलों (sugar mills) में काम करने वाले 5 लाख मजदूरों को मदद मिलेगी. बताया जा रहा है कि पहली घोषित सब्सिडी में से किसानों को पहले हफ्ते में 5,361 करोड़ रुपए दिए जाएंगे, जोकि सीधे उनके खातों जमा होंगे. इसके बाद 3500 करोड़ की सब्सिडी मिलेगी. फिर 18,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी निर्यात के बाद सीधे किसानों के खाते में भेज दी जाएगी.
पिछले साल भी दी गई थी सब्सिडी
पिछले साल की बात करें तो वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने सब्सिडी दी थी. पिछले साल चीनी मिलों ने रिकॉर्ड 57 लाख टन शक्कर का निर्यात किया था. साल 2019-20 में सरकार ने 10,448 रुपए प्रति टन की दर से निर्यात सब्सिडी दी थी, यानी इस बार पिछले साल की तुलना में कम निर्यात सब्सिडी दी जा रही है. आपको बता दें कि पिछले साल निर्यात सब्सिडी की वजह से सरकारी खजाने पर 6,268 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा था. ऑल इंडिया सुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (All India Sugar Traders Association) की माने तो पिछले साल के मुकाबले इस साल कम निर्यात सब्सिडी से चीनी की कीमतों पर असर पड़ सकता है. सरकार के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें घटकर 14 यूएस सेंट प्रति पौंड हो सकती हैं, जबकि फिलहाल इसकी कीमतें 17 यूएस सेंट प्रति पौंड है.
भारत में कितनी चीनी का होता है उत्पादन?
चीनी उत्पादन (Sugar Production) के मामले में दुनिया में भारत का दूसरा स्थान है, यानी हमारा देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है. भारत में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है. साल 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के मुताबिक 31 दिसंबर 2019 तक उत्तर प्रदेश में 31.07 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. चीनी उत्पादन के मामले में भारत में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है लेकिन यहां चीनी उत्पादन में गिरावट आ रहा है. यहां पिछले साल 16.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि इससे पहले महाराष्ट्र में 44 लाख टन के करीब उत्पादन हुआ था. उत्तर प्रदेश में शुगर मिलों से निकली चीनी के दाम 33,500 रुपए प्रति टन के करीब है, जबकि महाराष्ट्र में कारखाना से निकले चीनी का 31,000 रुपए प्रति टन बिकती है.
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