छत्तीसगढ़ के रायपुर में राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में "बाजरा कैफे" का विधिवत उद्घाटन किया.
इस बाजरा कैफे के द्वारा अब स्वाद प्रेमी लजीज व्यंजनों के साथ-साथ छोटे अनाज वाली फसलों से बने अन्य उत्पादों का लुत्फ उठा सकेंगे, जो यहां खरीद के लिए उपलब्ध होंगे.
व्यवसायिक परिसर में शुरू हुए इस मिलेट कैफे में कोदो, कुटकी, रागी सहित अन्य छोटे अनाज वाली फसलों- इडली, डोसा, पोहा, उपमा, भजिया, खीर, हलवा, माल्ट, कुकीज बनाए गए. इसके साथ ही इस कैफे में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन खुरमी, अरसा, चकोली, सेवई, पिढ़िया आदि भी आम जनता के लिए उपलब्ध होंगे.
यह बाजरा कैफे छोटी अनाज वाली फसलों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और उनके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है. यह कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित देश का पहला बाजरा कैफे होगा. कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर इस बाजरे के कैफे का संचालन करेगा, जिसमें विभिन्न महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार छोटे- छोटे अनाज के व्यंजन परोसे जाएंगे.
मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह, राष्ट्रीय बीज निगम, नई दिल्ली के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॉ मनिंदर कौर द्विवेदी, डॉ गिरीश चंदेल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरविंद कुमार अंतरराष्ट्रीय अर्द्ध शुष्क उष्ण कटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसईटी) के उप महानिदेशक केसी पैकरा, अपर निदेशक कृषि अभियांत्रिकी जीके पिढ़िया, छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम के अपर निदेशक आर.के. मिलेट के उद्घाटन समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी व वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
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जैसा की आप सभी जानते हैं कि छोटे अनाज वाली फसलों के पोषण और स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 2023 को बाजरा वर्ष के रूप में नामित किया है. इसके बाद से देशभर में भी अतंरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 को मनाया जा रहा है.
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