जनपद में रात के समय घने कोहरे के कारण तापमान में हो रही गिरावट और पाले की संभावना के चलते कृषि विभाग ने फसलों की सुरक्षा को किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, ताकि कोहरा के दौरान रात में पड़ने वाले तुषार या पाला की स्थिति मे फसलों को अधिक नुकसान से बचाया जा सके। कृषकों को सलाह दी गई है कि शीतलहर और पाले से फसलों की सुरक्षा के लिए हल्की सिंचाई काफी लाभदायक रहती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी एसएन चौधरी ने बताया कि जनपद में मौसम के उतार चढ़ाव के कारण विभिन्न फसलों में विभिन्न कीट/रोगों के बढ़ने की संभावना है। साथ ही कोहरे के कारण फसलें पाले से प्रभावित हो सकती हैं। गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों और सब्जियों की फसलों में देखरेख की विशेष आवश्यकता है। इसके लिए किसानों को फसलों के बचाव के लिए उन्होंने आवश्यक सुझाव दिए हैं, जिनसे काफी हद तक फसलों की सुरक्षा पाला पड़ने या तुषार होने के दौरान की जा सकती है। उसके साथ ही खेतों की उत्तर पश्चिमी दिशा में हवा के विपरीत खेत में भूसा व गोबर के उपलों का धुआं करने से नमी बनी रहती है और तुषार लगने की संभावना काफी कम हो जाती है। जिस मिट्टी में सल्फर व सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी रहती है, वहां तुषार लगने की संभावना अधिक रहती है। ऐसी मिट्टी में तुषार लगने के पूर्व ही सल्फर व सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव लाभदायक होता है। इससे फसलों के दानों में भी चमक आती है और पैदावार में भी वृद्धि होती है। चना, मटर, मसूर में सेमीलूपर इल्ली, कटुआ कीट, फलीभेदक के नियंत्रण के लिए क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी.1.5 लीटर या मोनाक्रोटाफॉस 36 प्रतिशत एसएल एक लीटर प्रति हैक्टेयर मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। राई, सरसों, मटर, मसूर, चना, गेंहूं एवं सब्जियों में माहू के नियंत्रण के लिए डाईमिथोएट तीस प्रतिशत ई.सी. की 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर मात्रा को 600 लीटर पानी में या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की 300 एमएल प्रति हैक्टेयर को 500 लीटर पा में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए यह भी बताया कि गेंहूं की फसल में दीपक के नियंत्रण के लिए क्लोरोपाईरीफॉस बीस प्रतिशत की 2.50 लीटर मात्रा को सिंचाई के पानी के साथ प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें। गेंहूं, मसूर, राई/सरसों, चना, मटर मे गेरुई, पत्ती धब्बा रोग, तुलासिता, झुलसा रोग एवं आलू, टमाटर, मिर्च में झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए मैकोजेब 75 प्रति डब्लू.पी. की दो किलोग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रत़ि हैक्टेयर की दर से छिड़काव किए जाने से इन फसलों का काफी लाभ मिलेगी। वहीं गेंहूं में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2.4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 625 ग्राम प्रति हैक्टेयर मात्रा या चौड़ी पत्ती वाले व संकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे बथुआ, हिरनखुरी, गेंहूं का मामा, जंगली जई आदि के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 प्रतिशत मेटससल्फ्यूरॉन मिथाइल पांच प्रतिशत की चालीस ग्राम मात्रा को 300-400 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह की दी गई है।
दुकानों के बाहर चस्पा करें कीटनाशकों का रेट
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कीटनाशक दुकानदारों के लिए किसानों के हित में अवगत कराया है कि सभी कीटनाशक विक्रेता अपनी दुकान के बाहर रेट, स्टॉक बोर्ड अवश्य लगाएं। प्रत्येक कृषक को बिल अवश्य जारी किए जाएं और किसानों को कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग के संबंध में आवश्यक प्रयोग विधि, निर्देशों की भी जानकारी से अवगत कराया जाए। साथ ही कीटनाशी अधिनियम के अंतर्गत सुसंगत नियमों का आवश्यक रुप से पालन करने के भी निर्देश दिए हैं।
साभार
अमर उजाला
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