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वर्षाजल प्रबन्धन करें तथा कृषि अवशेषों से बायो गैस व खाद बनाये

बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, आरजिया, भीलवाडा (महाराणा प्रताप कृषि एंव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर) में किसान संगोष्ठी आयोजित की गई। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की परियोजना ‘‘ मेवाड़ के बारानी क्षेत्रों में वर्षाजल प्रबन्धन द्वारा उत्पादकता बढाना‘‘ के अन्तर्गत आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सह संघठन मंत्री गजेन्द्र सिंह ने बारानी क्षेत्रों में कृषि की लागत कम करके उत्पादकता को बढाने का सुझाव दिया तथा वर्षाजल संग्रहण कर उसके समुचित प्रबन्धन से उत्पादन की सलाह दी।

बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, आरजिया, भीलवाडा (महाराणा प्रताप कृषि एंव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर) में किसान संगोष्ठी आयोजित की गई। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की परियोजना ‘‘ मेवाड़ के बारानी क्षेत्रों में वर्षाजल प्रबन्धन द्वारा उत्पादकता बढाना‘‘ के अन्तर्गत आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सह संघठन मंत्री गजेन्द्र सिंह ने बारानी क्षेत्रों में कृषि की लागत कम करके उत्पादकता को बढाने का सुझाव दिया तथा वर्षाजल संग्रहण कर उसके समुचित प्रबन्धन से उत्पादन की सलाह दी। गजेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की वर्षाजल प्रबन्धन तथा जैव अपघठनीय कृषि अवशेषों से बायोगेस/बायो सी.एन.जी. तथा जैविक खाद बनाने की परियोजनाओं की प्रसंशा की तथा जल प्रबन्धन की उन्नत तकनीकी की एवं बायो खाद के महत्व पर प्रकाश डालते हुये किसानों को रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव बताये व मृदा उर्वरता के लिये जैविक खेती अपनाने की सलाह दी। गजेन्द्र  सिंह ने महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक को सलाह दी कि जेनेटिक मोडिफाइड फसलों के खतरे को देखते हुये हमारी पुरानी देशी किस्मों के बीज/जर्मप्लाज्म संरक्षित रखने के उपाय करें। किसान की समृद्धि के लिये किसानों को जागरूक होकर नई उन्नत तकनीकी अपनाने की सलाह दी।

कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक  कालूलाल गुर्जर ने वर्तमान परिस्थियों में वर्षाजल की महत्वता बताई तथा वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का सुझाव दिया।  कालूलाल गुर्जर ने बायोगेस को अपनाने की सलाह दी तथा कृषि कचरे से गैस बनाकर वाहन चलाने एवं जैविक खाद बनाने को आज की महती आवश्यकता बताई। उन्होने बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र के कार्यो की प्रसंशा भी की।

भीलवाडा जिले से संासद सुभाष जी बहेड़िया ने कम पानी से खेती के नये-नये अनुसंधानों का जिक्र करते हुये आधुनिक युग में सूक्ष्म सिंचाई पद्वति तथा प्राचीन कालीन नाडी व्यवस्था को उपयोगी बताया।

भीलवाडा के विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी ने गिरते जल स्तर को चिंतनीय बताया तथा किसानों को जल संचय तथा मित्व्ययी प्रयोग की सलाह दी साथ में अवस्थी ने जैविक खेती अपनाने की सलाह देते हुये प्रकृति का दोहन कम से कम करने की सलाह दी। अवस्थी ने बायो गेस परियोजना की प्रसंशा की।

आसीन्द के विधायक रामलाल गुर्जर ने बारानी क्षत्रों में पुशुपालन तथा खेती को साथ करने की सलाह दी तथा गौपालन को खेती का आधार बताते हुये देशी खाद प्रयोग में लेने की सलाह दी तथा कृषि अवशेषों से बायो गेस बनाने की सलाह दी।

केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक एवं वर्षा जल प्रबन्धन की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के प्रभारी डाॅ0 अनिल कोठारी ने केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी दी तथा बारानी कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित तकनीकियों की जानकारी संगोष्ठी में रखी। डाॅ0 कोठारी ने वर्षाजल प्रबन्धन परियोजना के तहत वर्ष 2016 में किये गये कार्य तथा आगामी वर्षो में किये जाने वाले जल संग्रहण कार्यो की जानकारी दी। किसान संगोष्ठी में नगर विकास न्यास, भीलवाडा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण डाड तथा सामाजिक कार्यकर्ता रवीन्द्र जाजू ने भी विचार रखें। संगोष्ठी में बायो गेस के वैज्ञानिक डाॅ0 दीपक शर्मा एवं डाॅ0 प्रतीक शील्पकार ने तकनीकी जानकारी दी।

भीलवाडा के कृषि विभाग के उपनिदेशक डाॅ0 जी.एल. चांवला ने वर्षाजल प्रबन्धन से संबंधित कृषि विभाग की विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।

निदेशक अनुसंधान डाॅ0 एस.एस. बुरडक ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान कार्यो तथा विकसित तकनीकियों की जानकारी किसानों, प्रसार कार्यकर्ताओं तथा अतिथियों को दी। सभी अतिथियों का स्वागत कर स्मृति प्रतीक चिन्ह भेंट किये गये।

संगोष्ठी का संचालन मृदा वैज्ञानिक डाॅ0 सुनील कुमार दाधीच ने किया तथा सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

उपरोक्त किसान संगोष्ठी में राजस्थान के भीलवाडा, चित्तोडगढ तथा राजसमंद जिले के 600 किसानों तथा कृषि विभाग के अधिकारी एवं प्रसार कार्यकर्ताओं, कृषि महाविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र, के वैज्ञानिकों तथा ने भाग लिया।

English Summary: Manage rain water and make bio gas and compost with agricultural residues. Published on: 28 August 2017, 06:12 AM IST

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