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Makhana Farming: मखाने की खेती करने वालों पर सरकार हुई मेहरबान, कमाई होगी डबल

मखाने के बढ़ते उत्पादन और मांग के बीच किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर आई है. दरअसल, केंद्र सरकार (Central Government) ने मखाना के किसानों (Makhana Farmers) के लिए उपयोग किए जाने वाले बीजों को अधिसूचित कर दिया है. कृषि विभाग के सचिव एन. सरवन कुमार (N. Sarvan Kumar) ने बताया कि केंद्र सरकार ने बीज अधिनियम के तहत सबौर मखाना-1 (Sabour Makhana-1) के बीजों को कृषि प्रयोजनों के लिए बेचने के लिए बजट में अधिसूचना जारी की है.

रुक्मणी चौरसिया
Makhana Farming
Makhana Farming

मखाने के बढ़ते उत्पादन और मांग के बीच किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर आई है. दरअसल, केंद्र सरकार (Central Government) ने मखाना के किसानों (Makhana Farmers) के लिए उपयोग किए जाने वाले बीजों को अधिसूचित कर दिया है. कृषि विभाग के सचिव एन. सरवन कुमार (N. Sarvan Kumar) ने बताया कि केंद्र सरकार ने बीज अधिनियम के तहत सबौर मखाना-1 (Sabour Makhana-1) के बीजों को कृषि प्रयोजनों के लिए बेचने के लिए बजट में अधिसूचना जारी की है.

सबौर मखाना-1 का बीज किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. बता दें कि मखाना बिहार (Bihar) की शान है और देश में करीब 90 प्रतिशत मखाने का उत्पादन अकेला बिहार ही करता है जिसमे मिथिलांचल (Mithilanchal) पहले स्थान पर है.

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित योजना (Scheme notified by the central government)

जल जीवन हरियाली विकास योजना (Jal Jeevan Haryali Vikas Yojana)  में मखाना को शामिल कर विभिन्न जिला स्तरीय उदघाटन कार्यक्रमों के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar, CM) ने सहरसा, अररिया, पूर्णिया आदि जिलों के मखाना उत्पादकों को सबौर मखाना-1 के बीज वितरित करने के लिए कहा है, ताकि किसान इसका उत्पादन कर सकें.

बिहार के 9 जिलों में इस किस्म की हो रही है खेती  (This species is being cultivated in 9 districts of Bihar)

वर्ष 2021 में राज्य बागवानी मिशन (Horticulture Mission) के बायोटेक किसान हब (Biotech Farmer Hub) और मखाना विकास योजना (Makhana Vikas Yojana) के अंतर्गत सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज के विभिन्न जिलों में लगभग 255 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 250 किसान सबौर मखाना-1 उगा रहें है.

कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज और मखाना रिसर्च सेंटर, दरभंगा एसोसिएट और भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज, पूर्णिया नोडल केंद्र के रूप में काम कर रहे हैं.

शानदार है मखाने की सबौर-1 किस्म (Sabour-1 variety of makhana is wonderful)

जहां वर्ष 2012 में किसानों को मखाना गुर्री (कच्चा बीज) का अधिकतम मूल्य 81 रुपये प्रति किलो (केवल 3 से 4 दिन) और न्यूनतम मूल्य 40 से 50 रुपये प्रति किलो मिलता था, लेकिन आज स्थिति बदल गई है. 2021 में किसानों को मखाने का अधिकतम मूल्य 180 रुपये प्रति किलो (1 से 2 महीने मात्र) मिल रहा है और न्यूनतम मूल्य 145 से 160 रुपये प्रति किलो है.

यह भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं मखाने की खेती कैसे होती है?

1000 हेक्टेयर में मखाने की खेती करेगी सरकार (Government will cultivate Makhana in 1000 hectares)

बिहार सरकार (Bihar Government) के अनुसार आगामी वर्ष 2022 में मखाना विकास योजना के तहत कुल 1000  हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक से अधिक किसानों के खेतों में सबौर मखाना-1 की खेती की जायेगी.

हालांकि, सरकार बिहार के किसानों को मखाने की खेती से काफी लाभ होते हुए देख रही है, ऐसे में इससे जुड़े उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वह और भी कई कदम उठा रही है.

English Summary: Makhana Farming: The government has been kind to those cultivating Makhana, earning will be double Published on: 24 November 2021, 03:44 PM IST

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