एमडीएच ग्रुप के मालिक और मसाला किंग के नाम से विख्यात महाशय धर्मापाल गुलाटी का आज निधन हो गया. 98 वर्षीय महाशय धर्मपाल पिछले कई दिनों से बीमार थे और उनका उपचार चन्नन देवी हॉस्पिटल में चल रहा था. उनके निधन की खबर से समूचे भारत में सन्नाटा पसरा हुआ है. खबर लिखे जाने तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत मनीष सीसोदिया, नवीन पटनायक आदि बड़े राजनेता उन्हें ट्वीटर के माध्यम से श्रद्धांजलि दे चुके थे. इसी तरह सोशल मीडिया पर लोग उन्हें तरह-तरह से याद कर रहे हैं.
एमडीएच ग्रुप के मालिक और मसाला किंग के नाम से विख्यात महाशय धर्मापाल गुलाटी का आज निधन हो गया. 98 वर्षीय महाशय धर्मपाल पिछले कई दिनों से बीमार थे और उनका उपचार चन्नन देवी हॉस्पिटल में चल रहा था. उनके निधन की खबर से समूचे भारत में सन्नाटा पसरा हुआ है. खबर लिखे जाने तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत मनीष सीसोदिया, नवीन पटनायक आदि बड़े राजनेता उन्हें ट्वीटर के माध्यम से श्रद्धांजलि दे चुके थे. इसी तरह सोशल मीडिया पर लोग उन्हें तरह-तरह से याद कर रहे हैं.
पद्मभूषण रह चुके हैं धर्मपाल गुलाटी
धर्मपाल को राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है. अभी हाल ही में उन्हें व्यापार और उद्योग जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मभूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया था.
पाकिस्तान में हुआ था महाशय धर्मपाल का जन्म
आपको जानकार शायद हैरानी होगी कि भारत की पहचान बन चुके महाशय धर्मपाल का जन्म भारत में नहीं बल्कि आज के पाकिस्तान में 27 मार्च 1923 को सियालकोट में हुआ था. शिक्षा की बात करें तो उन्होंने 5वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी, लेकिन कहते हैं ना कि जीवन का असली ज्ञान किताबों से नहीं अनुभव से आता है. धर्मपाल ने जो भी कुछ सीखा अपने अनुभन से सीखा.
पिता के नाम से खोला दुकान
ऐसा नहीं था कि धर्मपाल हमेशा से मसालों का ही काम करते थे. शुरूआती दिनों में उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर और चावल का व्यापार भी किया था. लेकिन इन कामों में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली. लेकिन असफलताओं से हार मानकर कोई महान कब बना है, जो धर्मपाल बन जाते. उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पिता के नाम से ‘महेशियां दी हट्टी (MDH)’ दुकान खोल दी. बदलते हुए समय के साथ इस दुकान को देगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाने लगा.
1500 रुपए लेकर भारत आए थे धर्मपाल गुलाटी
भारत-पाकिस्तान बंटवारे का असर धर्मपाल के दुकान पर भी पड़ा. बहुत ही खराब हालत में उन्हें पाकिस्तान से भारत आना पड़ा. उस समय उनके पास केवल 1500 रुपये थे. जाहिर सी बात है, इतने पैसों में गुजारा होना संभव नहीं था, इसलिए यहां आकर उन्होंने तांगा चलाना शुरू कर दिया.
दिल्ली में खोली मसाले की दुकान
तांगा चलाकार परिवार का भरण पोषण वो अच्छे से कर रहे थे, लेकिन उनका मन सदैव मसालों की तरफ ही भागता था. आखिरकार थोड़ी संपत्ति इकट्ठी होने के बाद उन्होंने दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोल दी.
मेहनत से छोटा दुकान बन गया फैक्ट्री
दिल्ली में उनका मसाला धीरे-धीरे प्रसिद्ध होता गया. अपनी मेहनत से उन्होंने मसालो को बाकि राज्यों और फिर बाकि देशों में बेचना शुरू कर दिया. एमडीएच मसाले 18 फैक्ट्रियों में तब्दिल होकर दुनियाभर में पहुंचने लगे. आज एमडीएच मसालों के 62 प्रोडक्ट्स मार्केट में राज कर रहे हैं.
सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ थे धर्मपाल
यूरोमॉनिटर की रिर्पोट कहते हैं कि धर्मपाल गुलाटी भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ थे.
देश सेवा की भावना थी प्रबल
धर्मपाल हमेशा कहते थे कि उनके पास जो भी कुछ है, वो भारत का है. इस देश ने उन्हें सबकुछ दिया है, इसलिए इस देश की सेवा के लिए वो हमेशा तैयार है. आपको शायद ये बात न मालुम हो, लेकिन धर्मपाल अपनी सैलरी का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा दान कर देते थे. उनके नाम से आज 20 से अधिक स्कूल और अस्पताल चल रहे हैं.
कोरोना काल में की थी मदद
कोरोना काल में जब सभी कंपनियों से मजदूरों को निकाला जा रहा था, ऐसे समय में एमडीएच मजदूरों की मदद के लिए आगे आई थी. कंपनी ने न सिर्फ पीएम केयर को बड़ा हिस्सा दान किया था, बल्कि मजदूरों की भी आर्थिक मदद की थी.
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