महाराष्ट्र का मराठवाड़ा एक ऐसा क्षेत्र माना जाता है, जहाँ की जमीन अधिक मात्रा में सुखी पड़ी है. इस वजह से फसलों का अच्छा उत्पादन भी नहीं हो पाता है. इसका असर किसानों की आर्थिक स्तिथि पर पड़ता है. ऐसे में अब किसानों ने नए – नए प्रयोग को अपनाना शुरू कर दिया है.
बता दें कि महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र के किसान एक ऐसी नई तकनीक को अपना रहे हैं, जो कम पानी में अधिक पैदावार दे सकती है. दरअसल, अब किसानों ने रेशम की खेती (Silk Farming ) की तरफ अपना रुझान बढ़ा दिया है. इसके साथ ही निगम की तरफ से किसानों को रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए महारेशम अभियान (Maharesham Campaign) भी चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत किसानों को रेशम की खेती करने के फायदे के बारे में बताया जा रहा है. बता दें कि यहां की जलवायु रेशम की खेती के लिए अनुकूल हैं.
रेशम कोकून की कीमत है 55 हजार रुपए प्रति क्विंटल (The Cost Of Silk Cocoon Is 55 Thousand Rupees Per Quintal)
मराठवाड़ा के जालना जिले में रेशम के कोकून की खरीद की जा रही है. अगर इसके कीमत की बात करें, तो बाज़ार में इसकी कीमत 55 हजार रुपए प्रति क्विंटल है. इससे किसानों को अब काफी फयदा भी मिल रहा है. वही, रेशम उद्योग को विकसित करने के लिए इच्छुक किसानों को मार्गदर्शित किया जाता है. इसमें अधिकारी किसानों के गांवों में जाते हैं और उन्हें मार्गदर्शित करते हैं.
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वहीँ महाराष्ट्र के बीड मंडी समिति में पिछले आठ दिनों से रेशम के कोकूनों की खरीद शुरू हो गई है. बता दें कि जिले में रोजाना का रेशम कीट का टर्नओवर 6 से 7 लाख का होता है. बीड जिले में रेशम कोकून के उत्पादन में वृद्धि को देखते हुए प्रशासन द्वारा कोकूनों की खरीद की अनुमति दी गई थी.
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