मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही किसानों की उस प्रमुख समस्या को ध्यान में रखकर लिया गया है, जिसमें वे शिकायत करते थे कि बिजली लाइनों और हाईटेंशन टावरों के लिए भूमि उपयोग पर उन्हें बहुत कम राशि दी जाती है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता था और कई बार परियोजनाएं भी अटक जाती थीं।
अब सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से देखते हुए किसानों को मिलने वाले मुआवज़े को दोगुना यानी 200% कर दिया है। इस कदम से किसानों को न केवल उचित प्रतिफल मिलेगा, बल्कि भविष्य में बिजली संबंधी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी तेजी आएगी। नई नीति से किसानों का विश्वास बढ़ेगा और उन्हें भूमि के अस्थायी या स्थायी उपयोग से होने वाले नुकसान की पूरी भरपाई सुनिश्चित होगी।
क्या है नई मुआवजा नीति?
सरकार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति और ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए हाईटेंशन लाइनों और टावरों का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। लेकिन भूमि के सही मूल्य का भुगतान न होने के कारण कई किसान अपनी जमीन देने से हिचकते थे। नई नीति में अब किसानों को उनकी भूमि के उपयोग का बाजार मूल्य से दोगुना मुआवज़ा मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक क्षति पूरी तरह से कवर हो सकेगी।
राज्य के किसानों की क्या प्रतिक्रिया है?
सरकार के इस निर्णय से किसानों में उत्साह और संतोष दोनों देखने को मिल रहे हैं। उनका कहना है कि पहले उन्हें लगता था कि खेत में टावर लगने से भूमि का मूल्य घट जाएगा और खेती पर भी असर पड़ेगा, लेकिन अब बढ़े हुए मुआवज़े से नुकसान की भरपाई सहज रूप से हो सकेगी।
किस-किस चीज़ का मिलेगा मुआवज़ा?
सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि निम्नलिखित बिंदुओं पर किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा-
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टॉवर के बेस एरिया पर 200% भुगतान, जिसमें भूमि के स्थायी उपयोग, कृषि योग्य क्षेत्र में कमी और भूमि मूल्य में गिरावट का मूल्यांकन शामिल होगा।
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टॉवर के आसपास 1-1 मीटर अतिरिक्त भूमि का भी मुआवज़ा दिया जाएगा।
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विद्युत कंडक्टर (लाइन) के नीचे की भूमि पर 30% मुआवज़ा निर्धारित किया गया है, क्योंकि लाइन गुजरने से कृषि गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। इसके लिए प्रति मीटर यह मुआवज़ा दिया जाएगा।
मुआवज़ा किस तरह तय होगा?
मुआवज़े की गणना निम्न बिंदुओं के आधार पर की जाएगी—
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टॉवर की क्षमता: 132 केवी, 220 केवी, 400 केवी या उससे अधिक
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कलेक्टर की वर्तमान भूमि गाइडलाइन
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भूमि का उपयोग – कृषि/अकृषि
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क्षति की प्रकृति और प्रभावित क्षेत्र
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लाइन की लंबाई और ऊँचाई
सरकार इन सभी मानकों के आधार पर भुगतान को स्वचालित रूप से गणना करेगी और DBT के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में मुआवजा भेजा जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल और बिना किसी झंझट के पूरी हो सकेगी।
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