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जानिये सौर ऊर्जा से चलने वाले चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज के बारे में

फल और सब्जियां जल्दी ख़राब हो जाने वाली किसान दवारा उत्पादित फसल है. हमारे देश में अधिकतर फल और सब्जी का उत्पादन गावों में ही होता है. खेत से बाजार या मंडी तक किसान को अपना उत्पाद पहुंचने के लिए रेफ्रिजरेटेड ट्रक्स की आवशयकता रहती है. जो की भारत देश में इसकी अभी वैसी आपूर्ति नहीं हो सकीय जितनी की उसकी आवश्यकता है.

फल और सब्जियां जल्दी ख़राब हो जाने वाली किसान दवारा उत्पादित फसल है. हमारे देश में अधिकतर फल और सब्जी का उत्पादन गावों में ही होता है. खेत से बाजार या मंडी तक किसान को अपना उत्पाद पहुंचने के लिए रेफ्रिजरेटेड ट्रक्स की आवशयकता रहती है. जो की भारत देश में इसकी अभी वैसी आपूर्ति नहीं हो सकीय जितनी की उसकी आवश्यकता है.

भारत विश्व में फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन, पर्याप्त शीत भंडारण सुविधाएं नहीं होने से 30 से 35 प्रतिशत फल और सब्जियां लोगों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाती हैं। किसानों को फलों और सब्जियों को तुरंत बाजार ले जाकर बेचने और गुणवत्ता खराब होने का नियमित दबाव बना रहता है। इस नए कोल्ड-स्टोरेज के उपयोग से किसान उत्तम गुणवत्ता की भंडारण सुविधाओं का लाभ छोटे स्तर पर अपनी आवश्यकतानुसार उठा सकेंगे।

भंडारण के अभाव में बड़ी मात्रा में फल और सब्जियां समय से पहले खराब हो जाती हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसा कोल्ड स्टोरेज यूनिट बनायी है, जिसे किसान अपने यहां भी लगा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिकों ने सौर ऊर्जा से संचालित मोबाइल कोल्ड-स्टोरेज यूनिट बनायी है, जो फल तथा सब्जियों को नष्ट होने से बचाने में मददगार हो सकती है।

इस कोल्ड-स्टोरेज को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. पी.के. शर्मा के अनुसार सौर ऊर्जा से चलने वाले इस नए कोल्ड-स्टोरेज से बिजली की समस्या से जूझ रहे किसानों को सबसे अधिक राहत मिल सकती है। बिजली की बचत के साथ-साथ इससे कृषि उत्पादों के खराब होने की समस्या दूर होगी।

कोल्ड-स्टोरेज के भीतर निम्न तापमान और उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण टमाटर जैसे उत्पादों को बीस दिन तक ताजा बनाए रखा जा सकता है। इसके अलावा अन्य सब्जियों और फलों, जैसे- पालक, शिमला मिर्च, ककड़ी, लौकी, तोरई और पपीते को भी बीस दिनों तक सुरक्षित रख सकते हैं।"

फलों और सब्जियों के लंबे समय तक भंडारण के लिए बनाए गए इस कोल्ड-स्टोरेज की भंडारण क्षमता 4.85 घनमीटर है। इसमें 1000 किलोग्राम फल तथा सब्जियों का भंडारण इसमें किया जा सकता है। इसकी लंबाई 1.83 मीटर, चौड़ाई 1.34 मीटर और ऊंचाई 1.98 मीटर है। इसे गैल्वनी कृत लोहे, पॉली-कार्बोनेट और प्लाईवुड की चादरों और ग्लास-वूल से बनाया गया है। इस कोल्ड-स्टोरेज में 40 क्रेट्स हैं और प्रत्येक क्रेट में 25 किलोग्राम फल और सब्जियां रखे जा सकते हैं।

इस कोल्ड स्टोरेज पर किए गए अनुसंधान के नतीजे शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किए गए हैं। इस कोल्ड स्टोरेज में लगे पहियों द्वारा इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। इसमें सौर ऊर्जा चालित 0.8 टन का एक एयरकंडीशनर लगाया गया है, जिससे कोल्ड स्टोरेज के भीतर का तापमान 9.5 से 11 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 73 से 92 प्रतिशत तक बनी रहती है।

इस कोल्ड-स्टोरेज में लगे पहियों द्वारा इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है। इसमें सौर ऊर्जा चालित 0.8 टन का एक एयर कंडीशनर लगाया गया है, जिससे कोल्ड-स्टोरेज के भीतर का तापमान 9.5 से 11 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 73 से 92 प्रतिशत तक बनी रहती है। यह एयरकंडीशनर एक सौर फोटो वोल्टिक सिस्टम द्वारा चलाया जाता है। इस सिस्टम को कुल आठ सौर पैनलों, एक सौर इन्वर्टर और चार बैटरियों वाले एक बैटरी-बैंक को मिलाकर बनाया गया है। इसे इस तरह तैयार किया गया है, जिससे दिन में अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सके।

यह एयरकंडीशनर एक सौर फोटोवोल्टिक सिस्टम द्वारा चलाया जाता है। इस सिस्टम को कुल आठ सौर पैनलों, एक सौर इंनवर्टर और चार बैटरियों वाले एक बैटरी-बैंक को मिलाकर बनाया गया है। इसे इस तरह तैयार किया गया है, जिससे दिन में अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सके। इस कोल्ड स्टोरेज को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ. पीके शर्मा ने बताया कि सौर ऊर्जा से चलने वाले इस नए कोल्ड स्टोरेज से बिजली की समस्या से जूझ रहे किसानों को सबसे अधिक राहत मिल सकती है। बिजली की बचत के साथ-साथ इससे कृषि उत्पादों के खराब होने की समस्या दूर होगी। कोल्ड स्टोरेज के भीतर निम्न तापमान और उच्च सापेक्ष आर्द्रता के कारण टमाटर जैसे उत्पादों को 20 दिन तक ताजा बनाए रखा जा सकता है।

डॉ. शर्मा के अनुसार, "सौर संचालित शीत कोल्ड-स्टोरेज का निर्माण भारत में अभी प्रयोगात्मक चरण में है। फिलहाल उपलब्ध शीत भंडारण ज्यादातर सुविधाएं बिजली चालित हैं। इनका उपयोग एक निश्चित तापमान पर सीमित उत्पादों जैसे- आलू, संतरा, सेब, अंगूर, अनार, फूलों इत्यादि के भंडारण के लिए ही हो पाता है। इससे फलों व सब्जियों की गुणवत्ता, ताजगी और जीवन अवधि बनाए रखने में मदद मिलेगी। किसानों और छोटे सब्जी तथा फल-विक्रेताओं की आय भी बढ़ेगी।"

डॉ. शर्मा द्वारा बनाए गए इस कोल्ड स्टोरेज की लागत लगभग 1.72 लाख रुपये तक हो सकती है। इसमें 1000 किलोग्राम फलों तथा सब्जियों को भंडारित करने की लागत प्रतिदिन 6 से 7 रुपये आती है। सिर्फ बिजली के खर्च की बचत से ही नौ सालों में इस कोल्ड-स्टोरेज की लागत निकल आती है।

चंद्र मोहन, कृषि जागरण

English Summary: Learn about the rotating cold storage running solar energy Published on: 03 September 2018, 08:39 AM IST

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