आज कृषि जागरण के Farmer The Brand अभियान के अंतर्गत फेसबुक लाइव से देशभर में जैविक खेती में नाम कमाने वाले पदमश्री भारत भूषण त्यागी जी जुड़ें. जिनको विगत वर्ष राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पदमश्री पुरस्कार देकर सम्मानित किया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि कृषि जागरण ने #farmerthebrand अभियान की पहल की है, जिसके तहत देशभर के प्रगतिशील किसानों को अपनी बात और उत्पादों की बारे में जानकारी देने का मौका दिया जा रहा है. ऐसे में आइये पदमश्री भारत भूषण त्यागी जी की कृषि यात्रा के बारे में जानते हैं.
बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र के गांव बीहटा निवासी प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती स्वयं कर और देश-प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक कर अपनी अलग छाप छोड़ी है. उनकी गिनती देश के प्रगतिशील किसानों में होती है. गौरतलब है कि किसान के लिए कम लागत से ज्यादा मुनाफा कमाना बड़ी चुनौती है. पर भारत भूषण त्यागी ने यह कर दिखाया है. खुद तो किया ही साथ में हजारों किसानों को भी सिखाकर तरक्की की राह दिखाई. आलम यह है कि देश-विदेश से किसान उन तक प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचते हैं.
बता दें, कि आने वाले प्रशिक्षुकों को वे अपने यहां रहने-खाने की मुफ्त सुविधा देते हैं. मकसद साफ है कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है. जानकारी के लिए बता दूं कि भारत भूषण त्यागी वही व्यक्ति हैं, जिन्हें विगत वर्ष भारत में हुए विश्व जैविक कृषि कुंभ में धरती पुत्र सम्मान से नवाजा गया था. 2018 में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी दिवस पर सम्मानित किया था.
पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती कब से करनी शुरू की
पद्मश्री भारत भूषण त्यागी के मुताबिक, दिल्ली यूनिवर्सिटी से गणित, भौतिक और रसायन विज्ञान में बीएससी करने के बाद जब मैंने नौकरी करना चाहा तो पिता जी ने नौकरी करने से माना कर दिया जिसके बाद मैं गांव लौट आया. हालांकि मौजूदा वक्त में खेती एक उलझी हुई पहेली है, हालात ऐसा है कि जिस युवा ने कृषि क्षेत्र में पढ़ाई किया है वह भी कृषि नहीं करना चाहता. इसके अलावा किसान भी नहीं चाहता कि उसका बेटा किसान बनें.इन सब बातों से इत्तर खेती करने के दौरान मेरे पास बहुत सारी चुनौतियाँ थीं, चुनौतियाँ ये थी कि जैविक खेती करने से उत्पादन गिर जाएगा. जैविक खेती में आने के लिए कई वर्ष लग जाएंगे. तो जैविक खेती कई प्रकार भ्रांतियों से जूझ रही थी. और संकट के दौर से गुजर रही थी और आज भी गुजर रही है.
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