देश में आंदोलन, हड़ताल कोई नई बात नहीं है। देश का हर दूसरा नागरिक वर्ग अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए हड़ताल और आंदोलन का सहारा लेने लगा है। आंदोलन यूँ तो बरसो से चलता आ रहा है लेकिन अब आंदोलन को अन्ना हज़ारे के बाद एक नई दिशा मिली है। देश के अन्नदाताओ ने अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए दस दिनों तक हड़ताल की है। एक जून से लेकर दस जून तक किसानो ने हड़ताल का एलान किया था।
क्या है किसानो की मांगे
किसानो की न्यूनतम आय 18000 रुपए प्रति माह हो।
किसानो का सम्पूर्ण क़र्ज़ माफ़ किया जाये।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाये।
देश की कृषि आयात निर्यात की निति में देश के किसानो के हितो की रक्षा की जाये और किसान प्रतिनिधियों की भागीदारी की जाये।
दूध का मूल्य काम से काम किसानो को 65 रुपए मिले
सभी सब्ज़ियों का न्यूनतम मूल्य हो जो लागात का डेढ़ गुना हो
सेब को विशेष उत्पाद घोषित किया जाये।
क्या है हड़ताल की प्रक्रिया
किसानो का कहना है की इस हड़ताल से किसी को भी परेशानी नहीं होगी, ना कोई हिंसक कदम उठाया जायेगा, न कोई रोड जाम न कोई तोड़फोड़ बस किसान 10 दिनों तक छुट्टी पर रहेंगे।
हड़ताल का प्रभाव
किसानो की इस हड़ताल से शिवराज की सरकार तनाव में आ गई है। इसी के साथ गृहमंत्रालय ने प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारिओ को अलर्ट पर ले लिया।
साथ ही आज हड़ताल के दूसरे दिन कई किसानो ने दूध को सड़को पर बहा दिया। सब्ज़ियों को फेक दिया गया। इसी के साथ राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने कहा, ‘इस आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जायेगा तथा शहर के व्यापारियों, समस्त प्रतिष्ठानों से निवेदन किया जायेगा कि देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है. इसलिए उस दिन (10 जून) वे दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें’
By
Varsha
Share your comments