बिहार में शराब बैन होने की खबर तो हम सब के बीच आम है। दो साल पहले हमने देखा की किस तरह से बिहार में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं सरकार ने इस वर्ष एक और हानिकारक पदार्थ पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रही है। सरकार ने इस वर्ष अब खैनी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। नीतीश सरकार जल्दस ही राज्यस में खैनी के बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। अगर सब कुछ सही रहा तो आने वाले वक्त में खैनी पर सरकार प्रतिबंध लगा सकती है।
राज्य में खैनी पर प्रतिबंध लगाने के लिए पिछले कुछ समय से कई संस्था सरकार से मांग कर रही है। तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में राज्य सरकार को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी (सीड्स) ने खैनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सीड्स की तरफ से इसके बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने कहा कि "राज्य सरकार खैनी को खाद्य सामग्री की श्रेणी में लाए और फिर इसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के तहत प्रतिबंधित करे। उन्होंने बताया कि इसी एक्ट के तहत राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 25.6 प्रतिशत लोग धुआंरहित तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या खैनी खाने वालों की है।"
राज्य सरकार के द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखे जाने पर ये मामला प्रकाश में आया और इस पत्र में खैनी को खाद्य उत्पाद के रूप में सूचित करने का अनुरोध किया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा खाद्य उत्पाद के रूप में अधिसूचित किए जाने के बाद सरकार के पास स्वास्थ्य आधार पर खैनी पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति होगी।
क्यों है खैनी हानिकारक ?
विशव स्वास्थ्य संगठन ने खैनी को सेहत के लिए हानिकारक बताते हुए लोगों का ध्यान उस ओर खिंचा है। संगठने का कहना है कि खैनी की वजह से कैंसर, फेंफड़े और दिल से संवंधित बिमारियों के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है जो लोगों के लिए काफी हानिकारक है। वहीं कुछ आंकड़ों की बात करें तो बिहार में हर पांचवां व्यक्ति तम्बाकू का सेवन करता है यानी लगभग 20% आबादी। और इसमें सिर्फ पुरूष ही नहीं बल्कि महिला भी शामिल हैं। हालांकि ये बात भी सामने आई है की बिहार में पिछले कुछ समय से तंबाकू के सेवन में कमी आई है।
बता दें की देश में हर साल लगभग 12 लाख लोगों की मौत तंबाकू के सेवन से होती है और इनमें से 80 फीसद से अधिक लोग मुंह के कैंसर के मरीज होते हैं।
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