केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान संसद में देश के विभिन्न संसद सदस्यों के खेती किसानी से जुड़े सवालों के जवाब दिए. विभिन्न संसद सदस्यों ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी से नई एवं वाणिज्यिक फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की उपलब्धता को लेकर सवाल पूछा.
इसके जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि पीएम फसल बीमा योजना सभी राज्यों के लिए स्वैच्छिक है. ऐसे में राज्य अपने जोखिम को देखते हुए योजना के तहत सदस्यता लेने के लिए स्वतंत्र हैं. इसके लिए राज्य सरकार को जिस फसल के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेना होता है, उक्त फसल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी तय समय में केंद्र सरकार को उपलब्ध करवानी होती है. इसको लेकर केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं एवं राज्य सरकार की मांग को देखते हुए खाद्यान्न एवं वाणिज्यिक सभी प्रकार की फसलों में बढ़ोतरी भी कर सकती है.
वहीं खाद की उपलब्धता एवं सब्सिडी के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि डीएपी के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि होने के बावजूद केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए लगातार डीएपी पर सब्सिडी देने का कार्य किया है.
कैलाश चौधरी ने बताया कि किसानों को राहत देने की दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने डीएपी खाद पर सब्सिडी को 1212 रुपये से बढ़ाकर 1662 रुपए प्रति बोरी कर दिया था, जिसकी वजह से किसानों को अब भी DAP की एक बोरी पहले की ही तरह 1,200 रुपये में ही मिल रही है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
केंद्र सरकार की ओर से किसानों को दी गई सुविधाओं एवं बागवानी क्षेत्र की किस्मों के विकास के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रयासों और किसानों की मेहनत की वजह से आज देश में बागवानी क्षेत्र का उत्पादन कृषि क्षेत्र के उत्पादन से भी आगे निकल गया है. ‘मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर’ यानी एमआईडीएच योजना के अंतर्गत कृषि मंत्रालय 2014-15 से ही लगातार बागवानी क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को साकार करने को लेकर काम कर रहा है.
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कैलाश चौधरी ने बताया कि इस बागवानी मिशन ने खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली सर्वोतम प्रणालियों को बढ़ावा दिया है. इससे उत्पादकता और उत्पादन की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है, इससे न केवल बागवानी क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है, इससे अच्छा स्वास्थ्य, गरीबी से मुक्ति और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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