झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार ने 29 अक्टूबर को राज्य के 260 ब्लॉकों में से 226 को सूखा प्रभावित घोषित किया और मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना के तहत प्रत्येक प्रभावित किसान परिवार को 3,500 रुपए की राहत राशि देने का फैसला किया. राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सभी जिलों के उपायुक्तों और उनके विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा, "राज्य सरकार ने सहायता के लिए केंद्र को एक वित्तीय ज्ञापन सौंपा है. हमने 9,682 करोड़ रुपये के पैकेज का अनुरोध किया है."
एक अधिकारी के अनुसार, केंद्र राज्य के प्रस्ताव की समीक्षा करेगा और स्थिति का आकलन करने के लिए झारखंड में एक टीम भेजेगा. मंत्री ने यह भी कहा कि सूखा राहत योजना से लाभान्वित होने के लिए भूमि अधिकार प्रमाण पत्र की आवश्यकता को समाप्त कर दिया जाएगा.
"प्रत्येक किसान जिसका नाम राशन कार्ड डेटा पर दिखाई देगा, वह योजना के लिए पात्र होगा," उन्होंने कहा कि किसानों को अब सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) या 'प्रज्ञा केंद्रों' पर सूखा राहत योजना के लिए आवेदन करने के लिए 40 रुपए का शुल्क नहीं देना होगा.
अधिकारी के अनुसार, झारखंड में 30 सितंबर तक कुल मिलाकर मानसून की बारिश में 20 फीसदी की कमी दर्ज की गई. अब जो कि रबी सीजन चल रहा है, तो फसल के लिए उपयुक्त जल की व्यवस्था होनी भी महत्वपूर्ण है. खरीफ सीजन के पहले दो महीनों में स्थिति कठिन थी, जो की फसल बुवाई के लिए महत्वपूर्ण थी.
उन्होंने कहा कि इस साल मानसून सीजन के पहले दो महीनों में राज्य में कुल बारिश की कमी 49 प्रतिशत रही. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, झारखंड में 1 जून से 31 जुलाई तक 258.7 मिमी बारिश हुई, जिसमें 2014 के बाद से "सबसे अधिक कमी" देखने को मिली थी.
राज्य के कृषि विभाग के मुताबिक, इस साल 31 जुलाई तक खरीफ फसलों की कुल बुवाई 24.64 फीसदी थी. अधिकारी के अनुसार, 15 अगस्त तक राज्य में बुवाई का दायरा 37.18 प्रतिशत था, जबकि पिछले खरीफ सीजन में यह 82.07 प्रतिशत था.
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केंद्र के सूखा मैनुअल 2016 के अनुसार, एक राज्य तीन मानदंडों के आधार पर सूखे की घोषणा कर सकता है, वर्षा, प्रभाव संकेतक जैसे कि फसल, रिमोट सेंसिंग, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान और जमीनी स्तर का आकलन.
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