KJ Chaupal: 27 साल पहले किसानों व कृषि क्षेत्र के हित के लिए कृषि जागरण की स्थापना की गई थी. जो आज इस क्षेत्र अपनी मैग्जीन, वेबसाइट और दूसरे माध्यम से काम करके इतिहास रच रहा है. कृषि जागरण मीडिया का एक खास प्रोग्राम है ‘केजे चौपाल’ (KJ Chaupal). जिसमें कृषि से जुड़े गणमान्य लोग और प्रगतिशील किसान बतौर मेहमान आकर अपने कामों, अनुभवों और नवीनतम तकनीकों को साझा करते हैं.
इसी कड़ी में 2024 के पहले चौपाल कार्यक्रम में सोमवार (8 जनवरी) को केन्या गणराज्य के काउंटी सरकार के कृषि मंत्रालय में पर्यावरण निदेशक, आइजैक मेन्ये मारियारा (Isaac Mainye Mariera) शामिल हुए. एक कृषि विशेषज्ञ होने के नाते उन्होंने केन्या में पारंपरिक किसान क्लस्टर संरचनाओं को लागू करने में गहरी रुचि व्यक्त करते हुए, भारत भर में अपनी व्यापक यात्राओं से प्राप्त अंतर्दृष्टि साझा की. जेनेटिक्स में मास्टर डिग्री के साथ कृषि विज्ञान में स्नातक, आइजैक मैन्ये मारियारा ने इस दौरान कृषि जागरण के दिल्ली स्थिति मुख्यालय का दौरा भी किया और पूरी टीम के साथ बातचीत की.
KJ Chaupal कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक ने भारत और केन्या के बीच कृषि अंतर को पाटने के लिए मारियारा की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. इसके साथ ही उन्होंने आगामी मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड 2024 में केन्या की महत्वपूर्ण भूमिका की आशा व्यक्त करते हुए, उभरते वैश्विक कृषि परिदृश्य के प्रतीक के रूप में मारियारा की प्रशंसा की.
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वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आइजैक मेन्ये मारियारा ने सबसे पहले आदर सत्कार के लिए पूरी कृषि जागरण टीम का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि यहां पर आना उनके लिए अपने घर पर आने जैसा ही है. इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र में अपनी पूरी यात्रा का व्याख्यान किया. मारियारा ने बताया कि कैसे वे पिछले दो दशक से अधिक समय से कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. उन्होंने नैरोबी में बतौर प्रोफेसर भी अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने बताया कि वह इससे पहले भी कई बार भारत आ चुके हैं.
भारत के कई क्षेत्रों का दौरा करने के बाद, मारियारा ने हैदराबाद , उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और दक्षिणी भारत में सामने आए विविध कृषि नवाचारों की प्रशंसा की. उन्होंने बताया कि भारत आने का उनका उद्देश्य विभिन्न कृषि मार्गों के बारे में जानकारी हासिल करना और केन्या में वापस लाए जाने वाले ज्ञान के भंडार को पहचानना था. उन्होंने कहा, "मैंने भारत में कई स्थानों का दौरा किया है और मुझे कहना होगा कि यहां से सीखने और अपने देश में वापस ले जाने के लिए बहुत कुछ है. जबकि प्रत्येक की अपनी विशिष्टता है, वे कृषि परिदृश्य में देश का नेतृत्व करने के लिए एक साथ बंधे हैं."
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