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उर्वरक सब्सिडी में सरकार कर सकती है इजाफा, पढ़िए किसानों पर क्या होगा असर

किसानों को आने वाले समय में उर्वरक से जुड़ी एक बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. दरअसल, भारत (India) ने 2021-22 उर्वरक सब्सिडी को 1.55 ट्रिलियन रुपये ($ 20.64 बिलियन) से अधिक के रिकॉर्ड तक बढ़ाने की योजना बनाई है

रुक्मणी चौरसिया
Farmers' trouble may increase
Farmers' trouble may increase

किसानों को आने वाले समय में उर्वरक से जुड़ी एक बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. दरअसल, भारत (India) ने 2021-22 उर्वरक सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) को 1.55 ट्रिलियन रुपये ($ 20.64 बिलियन) से अधिक के रिकॉर्ड तक बढ़ाने की योजना बनाई है, ताकि रसायनों की वैश्विक कीमतों में तेज वृद्धि के बीच कमी से बचा जा सके." बता दें कि यह आंकड़ा 31 मार्च को समाप्त होने वाले वर्तमान वित्त वर्ष के बजट में उर्वरक सब्सिडी (Fertilizer subsidy in the budget of the financial year) के लिए बजट में दी गई राशि से लगभग दोगुना है.

62 प्रतिशत बढ़ सकती है फ़र्टिलाइज़र सब्सिडी (Fertilizer subsidy may increase by 62 percent)

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम मांग के बावजूद कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण केंद्र का उर्वरक सब्सिडी बिल चालू वित्त वर्ष में बजटीय राशि से 62 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. प्राकृतिक गैस और अन्य कच्चे माल की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि से उर्वरक सब्सिडी बिल 62 प्रतिशत या 50,000 करोड़ रुपये बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 79,530 करोड़ रुपये के बजट से बढ़कर 1,30,000 करोड़ रुपये हो जाएगा.

भारत यूरिया का है प्रमुख खरीदार (India is a major buyer of urea)

भारत, यूरिया का शीर्ष आयातक है और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का एक प्रमुख खरीदार भी है, जो देश के लगभग 60% कर्मचारियों को रोजगार देता है और 2.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का 15% हिस्सा है.

सरकार नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (Government National Fertilizer Limited), मद्रास फर्टिलाइजर लिमिटेड (Madras Fertiliser Limited), राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (Rashtriya Chemical & Fertilisers Limited), चम्बल फर्टिलर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (Chamabal Fertilsers & Chemicals Limited ) जैसी कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जो बाजार से नीचे की दरों पर उर्वरक बेचती हैं.

वहीं, जानकारी के लिए बता दें कि फसल के पोषक तत्वों का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो मुख्य ऊर्जा स्रोत कोयला और प्राकृतिक गैस है. चीन और रूस द्वारा उर्वरकों पर नए निर्यात प्रतिबंधों के बाद वैश्विक उर्वरक की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 200% की वृद्धि हुई है.

किसानों की बढ़ सकती है मुसीबत (Farmers' trouble may increase)

इस वित्तीय वर्ष में, नई दिल्ली ने पहले ही उर्वरक सब्सिडी को दो बार बढ़ा दिया है और 835.48 अरब रुपये के बजटीय समर्थन को 434.30 अरब रुपये बढ़ा दिया है. अधिकारियों में से एक ने कहा, "यह साल सबसे अधिक सब्सिडी भुगतान में से एक होने जा रहा है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें डीएपी निर्यात पर चीन द्वारा प्रतिबंध सहित विभिन्न कारणों से बढ़ी हैं."

डीएपी आयात में देरी (DAP import delay)

भारत अपनी वार्षिक डीएपी खपत के 10-12 मिलियन टन का औसतन 60% आयात करता है.  एक दूसरे सूत्र ने कहा "इसमें से 40% चीन से आता है," उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिबंध के कारण चीन से कुछ डीएपी पार्सल में देरी हुई है. कमी से बचने के लिए, सरकार ने चीन द्वारा प्रतिबंध के बाद डीएपी आयात करने वाली फर्मों को मुआवजे को और बढ़ाने का भी फैसला किया है.

सूत्रों का कहना है कि "हमने कुछ एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटेशियम) निर्माताओं को डीएपी के उत्पादन पर स्विच करने के लिए कहा है," उर्वरक मंत्रालय ने प्राथमिकता के आधार पर कम स्टॉक वाले जिलों में आपूर्ति बढ़ाई है. "पहले हम देश में उर्वरक की आपूर्ति के लिए 15 ट्रेनों का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन अक्टूबर के बाद से हमने आपूर्ति के लिए ट्रेनों की संख्या दोगुनी कर दी है."

हालांकि, भारत में किसानों ने DAP प्राप्त करने में कठिनाइयों के बारे में शिकायत की है. अक्टूबर और नवंबर के दौरान उर्वरक की मांग बढ़ जाती है, जो गेहूं जैसी सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों के रोपण के लिए एक चरम मौसम है. उत्तरी राज्य हरियाणा के एक गेहूं उत्पादक रवींद्र काजल ने कहा, "हमें इस बार डीएपी खरीदने में कठिनाई हुई और कीमतें भी अधिक हैं."

बताया जा रहा है कि वर्षों से भारत ने करों को छोड़कर यूरिया की कीमत ₹ 5,360 ($ 71.36) प्रति टन रखी है, जबकि वैश्विक बाजारों में कीमतें लगभग 990 डॉलर प्रति टन हो गई हैं. भारत लगभग 35 मिलियन टन यूरिया की औसत वार्षिक खपत का लगभग 30% आयात करता है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में यूरिया की कीमतें सालाना 144 फीसदी बढ़कर 690 डॉलर प्रति टन हो गईं, जबकि डीएपी की कीमत 84.3 फीसदी बढ़कर 682 डॉलर प्रति टन हो गई. भारत डीएपी की कीमतों को नियंत्रित नहीं करता है, लेकिन खुदरा कीमतों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण रखने के लिए सब्सिडी बढ़ाता है. तीसरे स्रोत ने कहा कि भारत में एक टन डीएपी की खुदरा कीमतें 25,000 ($ 332.85) के आसपास हैं, जबकि वैश्विक कीमतें बढ़कर 750 डॉलर हो गई हैं.

English Summary: India may soon increase 1.55 lakh crore on fertilizer subsidy, know the whole matter Published on: 07 December 2021, 04:55 PM IST

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