देश में बढ़ती महंगाई के बीच एकमात्र पशुपालन (Animal Husbandry) ही ऐसा व्यवसाय माना जाता है, जिसे कम लागत के साथ आसानी से शुरू किया जाता है. पशुपालन के व्यवसाय को कहीं भी और किसी भी समय शुरू किया जा सकता है. इसके लिए ज्यादा पशुओं की आवश्यकता नहीं होती है.
बता दें कि देश में किसानों की अर्थव्यवस्था खेती-बाड़ी और पशुपालन पर ही निर्भर रहती है. देश में लगभग 70 प्रतिशत नागरिक किसान है, जो अपनी आजीविका पशुपालन और खेती-बाड़ी से ही चला रहे हैं. पशुपालन की बढ़ती मांग और उभरते व्यवसाय को देखकर सरकार भी इन्हें बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाओं को संचालित करती रहती है.
हाल ही में, कानपुर जिले में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA) के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पशुपालन के नए शोधों और विकास से संबंधित दो दिवसीय कार्यशाला (Two Day Workshop ) आयोजित किया गया है. इसमें भारत को पशुपालन के क्षेत्र में विश्व में पहले दूसरे और तीसरे स्थान दिया गया है. यह देश के किसानों और नागरिकों के लिए एक गर्व की बात है.
कई वैज्ञानिक ने लिया भाग (Many Scientists Participated)
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में कई वैज्ञनिकों ने भाग लिया. इस कार्यक्रम में उन्होंने पशुपालन को लेकर अपने – अपने विचार व्यक्त किए. वहीं, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ वेदप्रकाश ने पशुओं में होने वाली बीमारियों से बचाव के विषय पर जानकारी दी. प्रोफेसर डॉ एमपीएस यादव ने दुग्ध विपणन एवं प्रसंस्करण विषय पर विस्तार से प्रतिभागियों को बताया.
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गाय, बकरी और भैंस पालन में स्थान (Place in Cow, Goat and Buffalo Rearing)
मिली जानकारी के अनुसार, भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुपालन का महत्वपूर्ण स्थान है. विश्व की कुल गायों की संख्या के स्तर से देखा जाए, तो हमारा देश इनकी संख्या के मामले में प्रथम स्थान पर आता है. वहीं, बकरियों व भैंसों के मामले में द्वितीय और तृतीय स्थान पर हैं. वहीं, अंडा उत्पादन के मामले में तृतीय स्थान पर है.
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