1. Home
  2. ख़बरें

भारत कभी विकसित देश नहीं बन सकता : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि हम एक विकसित भारत का निर्माण नही कर सकते यदि समाज में जाति, पंथ, धर्म और लिंग पर आधारित असमानताएं विद्यमान हैं। पी.एस.कृष्णन द्वारा लिखित पुस्तक ‘सोशल एक्सक्लूजन एण्ड जस्टिस इन इंडिया’ का विमोचन करने के बाद उपराष्ट्रपति उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि हम एक विकसित भारत का निर्माण नही कर सकते यदि समाज में जाति, पंथ, धर्म और लिंग पर आधारित असमानताएं विद्यमान हैं। पी.एस.कृष्णन द्वारा लिखित पुस्तक सोशल एक्सक्लूजन एण्ड जस्टिस इन इंडिया’ का विमोचन करने के बाद उपराष्ट्रपति उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चन्द गहलोत व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे। 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले सात दशकों से लेखक समाज के वंचित वर्गों की समस्याओं का अध्ययन कर रहे है। इन्होंने भारतीय समाज में भेदभाव को नजदीक से अनुभव किया है। पुस्तक इस तथ्य का साक्ष्य है कि उन्हे वंचित वर्गों, दलितों आदिवासियो और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो के मामलों की गहरी जानकारी है। लेखक को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रहने वाले पिछड़े सामाजिक वर्गों की कठिनाईयों का लम्बा अनुभव है और वे इनके निदान के लिए व्यवहारिक और प्रभावी तरीके भी सामने रखते हैं। 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लेखक ने गांधीजी और डॉ. अम्बेडकर के बीच संवादों का पता लगाया है। पुस्तक में इस बात का वर्णन है कि भारतीय संविधान के अंतिम प्रारूप में इन दोनों व्यक्तियों के पृथक विचारों का किस प्रकार समायोजन किया गया है।

पुस्तक संविधान के प्रावधानों का गंभीरता से वर्णन करती है कि किस प्रकार प्रावधानों को अधिनियमों में परिवर्तित किया गया है। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासी और पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने के पश्चात ही हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकेगा। 

English Summary: India can never become a developed country: Vice President Published on: 18 November 2017, 02:33 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News