केरल में राज्य सरकार ने बाग़ानों पर लगने वाले 30 फीसदी आयकर को ख़त्म करने का फैसला किया है. तिरुवंतपुरम में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस अहम फैसले को मंजूरी दी गई. अब तक केरल भारत का एकमात्र राज्य था जहाँ बागानों से होने वाली आय पर कर (एआईटी) वसूला जाता था.
प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ़ केरल (एपीके) 1970 से ही राज्य सरकारों से इस कर को ख़त्म करने का आग्रह कर रहा था. कर चुकाने के चलते उत्पादकों को दुबारा निवेश करने में खासी दिक्कत आती थी. वर्तमान सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक आयोग गठित किया था. आयोग ने बहुमत से इस आयकर व्यवस्था को खत्म करने की सिफारिश की थी.
राज्य के 95 फीसदी से अधिक बागान लगातार घाटे में चल रहे हैं. इसके अलावा टैक्स को वसूलने की लागत भी इससे प्राप्त होने वाले राजस्व से अधिक थी. ऐसे में ना तो इससे राज्य सरकार को फायदा हो रहा था और ना ही बागान मालिकों को. उत्पादन की बढ़ती लागत और कम कीमत के चलते इसमें अस्थिरता का माहौल था. हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने इस क्षेत्र को और बर्बाद कर दिया था. इस हालात को देखते हुए सरकार ने इस फैसले को अमलीजामा पहनाया है.
गौरतलब है कि बागान क्षेत्र के संकट को कम करने के लिए राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति कृष्ण नायर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एआईटी को ख़त्म करने की सिफारिश की थी. इन सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार ने पांच सचिवों की समीति नियुक्त की थी. इस समीति ने एआईटी को पांच साल के लिए अस्थाई रूप से ख़त्म करने का सुझाव दिया था. हालाँकि, उत्पादकों ने इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की थी. सरकार ने विस्तृत अध्ययन के बाद एआईटी को पूरी तरह समाप्त करने का फैसला किया.
रोहताश चौधरी, कृषि जागरण
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