खेती-किसानी के लिए समय-समय पर उर्वरक देना बहुत जरूरी है और इसी जरूरत को देखते हो सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि किसानों के लिए कम दामों पर खाद और फर्टीलाइजर उपलब्ध कराए जाए. इसी कड़ में इफको (IFFCO) ने उर्वरकों की कीमतें कम की है. इफको के मेनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉ. यूएस अवस्थी ने हाल में इफको खाद में कटौती की घोषणा की. इन्होने बताया गया है कि प्रधानमंत्री की योजना के मुताबिक किसान की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश से उर्वरकों के दाम कम कर दिए गए हैं. इसी उद्देश से देश की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के अलावा अन्य खाद की खुदरा कीमतों में 50 रुपए की कटौती की है. यह फैसला इफको ने कच्चे माल और वैश्विक कीमतों में हुई कटौती के बाद लिया है.अब डीएपी उर्वरक की 50 किलो की बोरी 1200 रुपए में मिलेगी. इसी तरह एनपीके-1 कॉम्पलेक्स (NPK 10-26-26) की कीमत 1175 रुपए, एनपीके-2 (NPK 12-32-16) की कीमत 1185 रुपए और अमोनियम फास्फेट सल्फेट (NPKS 20-20-0-13) की नई दर 925 रुपए कर दी गई है.
डीएपी की क्या है विशेषता? (Importance of DAP)
इस उर्वरक का पूरा नाम डाई अमोनियम फॉस्फेट है जिसकी खेती के लिए सबसे ज्यादा मांग होती है. इसलिए इसकी कीमतें घटने का फायदा सीधे किसानों को मिलेगा. इतना ही नहीं इस उर्वरक में NPK की मात्रा 18-46-0 है. डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की अधिक मात्रा होने की वजह से किसान इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
अमोनियम फास्फेट सल्फेट की विशेषता (Importance of Ammonium Phosphate Sulphate)
इस उर्वरक खाद में NPKS की मात्रा 20-20-0-13 प्रतिशत होती है. यह उर्वरक सल्फर होने के कारण तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए सर्वोतम है. इस उर्वरक का इस्तेमाल घुलनशील होने की वजह छिड़काव और ड्रिप या सिंचाई दोनों माध्यम से किया जा सकता है.
एनपीके-10-26-26 की विशेषता (Importance of NPK 10-26-26)
यह जल में तुरंत घुलनशील उर्वरक है जो पत्तियों के छिड़काव के उद्देश्य की पूर्ति करता है. इसमें तीनों मुख्य उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मौजूद होते है. उर्वरक गन्ना, कपास, दलहनी, तिलहनी और सब्जीवर्गीय फसलों के लिए श्रेष्ठ है.
एनपीके-12-32-16 की विशेषता (Importance of NPK 12-32-16)
इसमें भी तीनों मुख्य उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा मौजूद है. यह फसल की शुरुआती अवस्था में तेजी से बढ़वार के लिए दिया जाता है. यह मिट्टी और मौसम के विपरीत अवस्था होने पर भी अपना कार्य करता है. यह उर्वरक आलू, सोयाबीन, कपास और गन्ना की शुरुआती अवस्था में बेसल डोज़ के रूप में दिया जाता है.
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