नया साल शुरू हो चुका है. यूँ तो यह साल कई मायनों में खास होगा लेकिन किसानों के लिहाज से भी यह साल बेहद ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. इस वर्ष देश में लोकसभा चुनाव होने हैं इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार की ओर से किसानों के हित में कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं. इसके इतर भी किसानों को कुछ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. बाजार से मिल रहे संकेतों के मुताबिक यह साल दूध उत्पादक किसानों के लिए बेहद कामयाब साबित हो सकता है.
सहकारी डेयरी उद्योग की मानें तो वर्ष 2019 के दौरान दूध के दामों में बढ़ोतरी होने का अनुमान है. पिछले वर्ष की इसी अवधि की अपेक्षा इस वर्ष दूध की आपूर्ति में कमी दर्ज की गई है जिससे दूध के दामों में उछाल आने की संभावना है.
सर्दियों में दूध की अपेक्षित कीमतें न मिलने के चलते किसानों ने दूध का उत्पादन कम कर दिया. बताया जा रहा है कि दूध के गिरते भाव से किसानों के लिए दुधारू पशुओं को रखना महँगा साबित हो रहा था. दूध के कुल उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ा और बाजार में मांग के अनुरूप दुग्ध-आपूर्ति में गिरावट का रुख देखने को मिला जो अब तक जारी है.
मीडिया में छपी खबरों में अमूल ब्रांड के हवाले से दुग्ध-उत्पादन से संबंधित उपरोक्त बात की संभावना व्यक्त की गई है. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ(अमूल ब्रांड) के एमडी आरएस सोढ़ी ने आर्थिक पत्रिका इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक वक्तव्य में कहा है कि वर्ष 2019 के दौरान दूध की वृद्धि का रुख रहेगा. बकौल, आरएस सोढ़ी, "स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) के स्टॉक में गिरावट का दौर जारी है. साथ ही पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष दूध के उत्पादन में भी कमी देखी जा रही है. दूध के दामों में बढ़ोतरी के लिए ये दो प्रमुख कारक जिम्मेदार हैं."
कुछ सहकारी संघों को छोड़ दें तो अधिकतर डेयरी मालिक, किसानों को दूध की बेहतर कीमतें देने में नाकाम रहे हैं. जिसके चलते किसान दूध देने वाले मवेशी खरीदने की स्थिति में नहीं हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो दुग्ध क्षेत्र की मौजूदा तस्वीर साफ हो जाती है. विगत वर्ष इस अवधि के दौरान अमूल की दूध की आपूर्ति में 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी जो मौजूदा सीजन में 248 लाख लीटर के साथ महज 2 फीसदी के स्तर पर है.
2017 के दौरान, सहकारी और अन्य निजी डेयरी संघों ने दूध और उससे बनने वाले उत्पादों के दामों में 2 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी. एसएमपी की उपलब्धता और कमोडिटी कीमतों में स्थायित्व के चलते वर्ष 2018 में दूध की कीमतें उच्चतम स्तर पर बनी रहीं. दुग्ध उद्योग के अनुमान के मुताबिक दिसंबर के आखिर तक देश में 7 लाख टन एसएमपी का भंडार उपलब्ध है जिसमें कमी देखी जा रही है. ऐसे में निश्चित तौर पर दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होगी.
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