देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन (IDF World Dairy Summit 2022) का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने डेयरी किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. साथ ही पीएम मोदी ने लंपी रोग के खिलाफ बने टीके का भी जिक्र किया. ऐसे में चलिए इस लेख में पीएम मोदी द्वारा कही गई कुछ खास बातें जानते हैं.
पीएम मोदी ने दी ये अहम जानकारी
पिछले कुछ समय में भारत के अनेक राज्यों में Lumpy नाम की बीमारी से पशुधन की क्षति हुई है. विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इसे कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है. हमारे वैज्ञानिकों ने Lumpy Skin Disease की स्वदेशी vaccine भी तैयार कर ली है.
भारत में हम पशुओं के यूनिवर्सल वैक्सीनेशन पर भी बल दे रहे हैं. हमने संकल्प लिया है कि 2025 तक हम शत प्रतिशत पशुओं को फुट एंड माउथ डिजीज़ और ब्रुसलॉसिस की वैक्सीन लगाएंगे. हम इस दशक के अंत तक इन बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
खेती में मोनोकल्चर ही समाधान नहीं है, बल्कि विविधता बहुत आवश्यकता है. ये पशुपालन पर भी लागू होता है. इसलिए आज भारत में देसी नस्लों और हाइब्रिड नस्लों, दोनों पर ध्यान दिया जा रहा है.
भारत, डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है. डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है. आधुनिक टेक्नोल़ॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं. हमने इसे नाम दिया है- पशु आधार.
2014 के बाद से हमारी सरकार ने भारत के डेयरी सेक्टर के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए निरंतर काम किया है. आज इसका परिणाम Milk Production से लेकर किसानों की बढ़ी आय में भी नजर आ रहा है.
2014 में भारत में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था. अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है. यानि करीब-करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि.
भारत के डेयरी सेक्टर में Women Power 70% workforce का प्रतिनिधित्व करती है. भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलाएं हैं. इतना ही नहीं, भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं.
आज भारत में Dairy Cooperative का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है. ये डेयरी कॉपरेटिव्स देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में, करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं.
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इस पूरी प्रक्रिया में बीच में कोई मिडिल मैन नहीं होता, और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जेब में ही जाता है. पूरे विश्व में इतना ज्यादा Ratio किसी और देश में नहीं है.
विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग, भारत में डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं. भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान “mass production” से ज्यादा “production by masses” की है. डेयरी सेक्टर का सामर्थ्य ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है बल्कि ये दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है.
विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन 12 से 15 सितंबर तक आयोजित
आपको यहां बता दें कि ये समिट वैश्विक और भारतीय डेयरी उद्योग के नेताओं, विशेषज्ञों, किसानों और नीति योजनाकारों का एक समूह है, जो 'पोषण और आजीविका' के लिए डेयरी' विषय पर केंद्रित है. ये सम्मेलन 12 से 15 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा के India Expo Centre & Mart में आयोजित किया जा रहा है.
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