Disease and Pest Management in Sugarcane: आए दिन कृषि जागरण की टीम किसानों की बेहतरी के लिए कई कार्यक्रम और वेबिनार का आयोजन करती रहती है. इसी कड़ी में आज कृषि जागरण के मंच से "गन्ने में रोग एवं कीट प्रबंधन" के विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया. इस वेबिनार में कई कृषि एक्सपर्ट्स व वैज्ञानिक और गन्ना किसानों ने जुड़कर अपने विचार साझा किए.
जानें, वेबिनार का उद्देश्य
इस वेबिनार का उद्देश्य किसानों को गन्ने की फसलों में रोग और कीट से हो रहे नुकसान से बचाना है. इस वेबिनार की शुरुआत कृषि जागरण हिंदी की कटेंट प्रबंधक श्रुति जोशी निगम ने वेबिनार में शामिल सभी अतिथियों का परिचय देकर किया. इसके बाद इस वेबिनार के सत्र मध्यस्थ (Session Moderator) की भूमिका निभाते हुए कृषि जागरण के मुख्य परिचालन अधिकारी (Chief Operating Officer) डॉ. पी.के. पंत ने वेबिनार को आगे बढ़ाया. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस वेबिनार के दौरान कृषि वैज्ञानिक और गन्ना किसानों द्वारा दी गई जानकारी की मुख्य बातें...
सुरेश कबाड़े, गन्ना किसान, सांगली, महाराष्ट्र
गन्ना किसान सुरेश कबाड़े ने कृषि जागरण के मंच से अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि मैं लगातार 17 सालों से गन्ने की खेती कर रहा हूं और इसमें हर साल एक एकड़ में लगभग एक हजार से ऊपर गन्ने की उपज ले रहा हूं. इसकी मिड से मिड की दूरी 7 फिट और पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ फिट रहती है. उन्होंने गन्ने की किस्मों पर बात करते हुए बताया कि co 86032 गन्ने के किस्म की खेती करते हैं. किसान सुरेश कबाड़े ने बताया कि पश्चिम महाराष्ट्र के ज्यादातर किसान इसी की खेती करते हैं. ज्यादातर किसान इसकी खेती इसलिए करते हैं क्योंकि इससे किसान अच्छा पैदावार ले पाते हैं.
शर्मिला रॉय, प्रमुख, फसल संरक्षण, भाकृअनुप - भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
फसल संरक्षण शर्मिला रॉय ने गन्ने में कीटों के बारे में बात करते हुए कहा कि इस फसल में लगने वाले कीटों को हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं, एक जो बोरर, जो सिडलिंग में छेद करते हैं, दूसरा जो मिलीबग, ब्लेकबग जैसे कीट हैं. इसलिए किसानों को बोरर कीटों के लिए प्रबंधन करना चाहिए. क्योंकि ये गन्ने की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन अभी बना हुआ है.
डॉ. सुनील कुमार, सहायक प्रोफेसर, पौध संरक्षण विभाग, बागवानी महाविद्यालय-बीयूएटी, बांदा उत्तर प्रदेश
सुनिल कुमार ने गन्ने के रोगों और इसके प्रबंधन के बारे में बात करते हुए कहा कि अगर हम Red rot की बात करते हैं तो ये गन्ने की फसल में होने वाला मेजर प्रॉब्लम हैं. उन्होंने रेड आर्ट के लक्षण के बारे में बात करते हुए बताया कि जब इसका इंफेक्शन लगता है तो गन्ने की पत्तियां नीचे से ऊपर तक सूखती चली जाती हैं. इसके लक्षण 16 से 21 दिनों में दिखाई देते है और इसके अगले 10 दिनों तक पूरा पौधा सूखने लगता है. ऐसे में इस रोग के रोकथाम के लिए अगर हम Healthy Sets का इस्तेमाल करें तो इसे काफी हद तक मैनेज कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इसको रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका Resistant variety से अगर ग्रोथ करते है तो भी इसे मैनेज किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने इसके रोकथाम के लिए कैमिकल मैनेजमेंट को सबसे लास्ट विकल्प के तौर पर रखा.
कृषि जागरण के इस वेविनार में डॉ. आर. विश्वनाथन( प्रमुख, फसल संरक्षण विभाग, भाकृअनुप - गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर, तमिलनाडु), डॉ चंचल सिंह( विषय वस्तु विशेषज्ञ पौध संरक्षण, कृषि विज्ञान केंद्र, हमीरपुर, उत्तर प्रदेश) और प्रगतिशील किसान हरजीत सिंह हायेन ने भी अपनी राय रखी.
इस वेबिनार का लाइव प्रसारण कृषि जागरण के फेसबुक पेज पर किया गया. पूरा वीडियो देखने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं-
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